Mon, Dec 29, 2025

इन मंत्रों के जाप से करें कुंडली में गुरु मजबूत, धन-धान्य और सौभाग्य की होगी प्राप्ति

Written by:Ayushi Jain
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इन मंत्रों के जाप से करें कुंडली में गुरु मजबूत, धन-धान्य और सौभाग्य की होगी प्राप्ति

Astro Tips : कुंडली में मौजूद कई ग्रह जीवन पर काफी ज्यादा प्रभाव डालते हैं। ग्रहों के कमजोर होने की वजह से व्यक्ति के जीवन में परेशानियां खड़ी हो जाती है। कुंडली में सबसे ज्यादा राहु, केतु और गुरु ग्रह का प्रभाव देखने को मिलता है। ज्योतिष शास्त्र में भी इन ग्रहों का सबसे ज्यादा महत्व माना जाता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में यह ग्रह कमजोर रहते हैं तो वह जातकों को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करवाते हैं। अगर यह ग्रह मजबूत होते हैं तो जातक जीवन में सब कुछ प्राप्त करता है। उसके जीवन में खुशियां, धन-दौलत सब कुछ होता है।

आज हम आपको गुरु ग्रह के बारे में बताने जा रहे हैं। अगर आपकी कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर है और आप जीवन में काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना कर रहे हैं तो हम आपको उससे निपटने के लिए और गुरु ग्रह से छुटकारा पाने के लिए कुछ मंत्र बताने जा रहे हैं जो आपके जीवन को बदल के रख सकता है। जी हां धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना का दिन माना जाता है। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आने के साथ-साथ धन का आगमन भी तेजी से होता है।

ऐसे में अगर आपकी कुंडली में भी गुरु ग्रह कमजोर है और आप उसे मजबूत करना चाहते हैं तो गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना शुरू करें। ऐसा करने से आपको काफी ज्यादा फायदा देखने को मिलेगा। वहीं जीवन में सुखों की प्राप्ति होगी। इतना ही नहीं आपके सभी कम शुभ होंगे और किसी भी काम में बाधा नहीं आएगी। अगर इससे भी आपको फायदा देखने को नहीं मिल रहा है तो कुछ मंत्रों का जाप कर आपका गुरु ग्रह मजबूत होगा और आपको काफी ज्यादा फायदा देखने को मिलेगा। ज्योतिषों की माने तो कुंडली में गुरु ग्रह का मजबूत होना सबसे ज्यादा जरुरी माना जाता है। चलिए जानते हैं उन मंत्रों के बारे में –

इन मंत्रों का करें जाप

  • ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।
    यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।

 

    • ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः।

 

    • ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्।
      बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।

 

    • ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:॥
      ॐ गुं गुरवे नम:॥
      ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:॥
      ॐ ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पतये नमः

 

    • ॐ अंगिरो जाताय विद्महे वाचस्पतये धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात्।।

 

    • ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

 

    • शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
      विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
      लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
      वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

 

    • कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा ।
      बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावात् ।
      करोमि यद्यत्सकलं परस्मै ।
      नारायणयेति समर्पयामि ॥
      कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा
      बुद्ध्यात्मना वानुसृतस्वभावात् ।
      करोति यद्यत्सकलं परस्मै
      नारायणयेति समर्पयेत्तत् ॥

 

    • शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।
      प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥

 

  • ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

डिस्क्लेमर – इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। एमपी ब्रेकिंग इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।