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Sun, Dec 21, 2025

दिवाली के दिन छिपकली का दिखना माना जाता है बेहद शुभ, मां लक्ष्मी की बनी रहती है कृपा

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
दिवाली के दिन छिपकली का दिखना माना जाता है बेहद शुभ, मां लक्ष्मी की बनी रहती है कृपा

Diwali 2023 : दिवाली देशभर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार अक्टूबर और नवम्बर में मनाया जाता है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। यह त्योहार मिठास का होता। लोग एक-दूसरे से दुश्मनी भूलाकर गले लगाते हैं। दीपावली रोशनी का त्योहार है और यह हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह भारत समेत विश्वभर में हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे अलग-अलग तरीकों से सेलीब्रेट किया जाता है। लोग अपने घरों को रंगीन दीपों, फूलों और रंगोलियों से सजाते हैं।

मां लक्ष्मी की बनी रहती है कृपा

वहीं, इस साल दिवाली 12 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन छिपकली का दिखना बेहद शुभ माना जाता है। यह पौराणिक कथाओं और भारतीय संस्कृति के साथ जुड़ा हुआ है। छिपकलियों का दिखना धन और लक्ष्मी की कृपा बरसती है क्योंकि छिपकली को माता लक्ष्मी का संकेत माना जाता है। इस खास मौके पर यदि आपको मंदिर, घर, आंगन, कमरे में छिपकली दिखे तो उसे भगाने की गलती ना करें वरना आपसे मां लक्ष्मी नाराज हो जाएंगी।

दिवाली का महत्व

दीपावली का मुख्य महत्व भगवान राम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में होता है। भगवान राम ने 14 वर्षों के वनवास के बाद अपने पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापसी की थी। जिनके आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीपोत्सव के रूप में इस पर्व को मनाया था। लोगों ने उनका स्वागत करने के लिए अपने घरों को दीपों से सजाया था, जिससे पूरी नगरी रोशनी से जगमगा उठी थी। तब से ही दिपावली मनाया जाने लगा। वहीं, इस दिन लोग माता लक्ष्मी की पूजा कर धन, समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हैं। इसके लिए वे अपने घरों को सजाते हैं और दीपों की रोशनी में उत्सव मनाते हैं।

ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा

सामग्री

  • मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र
  • दिये
  • पंचामृत, गंगा जल
  • अभिषेक के लिए पानी
  • सोने या चांदी के सिक्के, नग या ज्वेलरी
  • फूल, मिठाई और प्रसाद

पूजा विधि

पूजा के लिए एक शुभ स्थान चुनें।

मां लक्ष्मी की मूर्ति को या चित्र को सजाएं।

मूर्ति को पंचामृत से अभिषेक करें।

फिर प्रसाद चढ़ाएं और मंत्र पढ़कर पूजा करें।

लक्ष्मी और गणेश की आरती कर पूजा समापन करें।

जिसके बाद दीपक जलाएं और घर के विभिन्न हिस्सों में रखें।

आखिर में भगवान का आर्शिवाद लें।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)