हर साल की तरह इस बार भी स्कंद षष्ठी का पर्व आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाएगा। भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र, कार्तिकेय जी को समर्पित यह पर्व खासतौर पर दक्षिण भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि अब देशभर में इस व्रत की महिमा बढ़ती जा रही है।
2025 में स्कंद षष्ठी का पर्व 30 जुलाई, बुधवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान कार्तिकेय अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर करते हैं। यह दिन संतान सुख, कार्यसिद्धि और मानसिक शांति के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
कब है स्कंद षष्ठी 2025?
2025 में स्कंद षष्ठी व्रत 30 जुलाई को रखा जाएगा। यह दिन शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को पड़ता है जो भगवान कार्तिकेय का प्रिय दिन माना जाता है। विशेष रूप से तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह पर्व बहुत बड़े स्तर पर मनाया जाता है।
कैसे करें स्कंद षष्ठी की पूजा?
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं और फल-फूल अर्पित करें।
- गंगाजल से उनका अभिषेक करें और “ॐ स्कंदाय नमः” मंत्र का जाप करें।
- ताजे फूलों से सजाकर, गुड़ और केले का भोग लगाएं।
- शाम को आरती करें और पूरे दिन व्रत रखकर केवल फलाहार लें।
क्या है स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व?
स्कंद षष्ठी व्रत का संबंध बुरी शक्तियों के विनाश और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने से जुड़ा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षस का वध षष्ठी के दिन किया था। इस दिन उपवास करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं, शत्रु पर विजय मिलती है और संतान संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।





