बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र वितरण के एक सरकारी कार्यक्रम में मुस्लिम महिला डॉक्टर का हिजाब हटाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस मामले को दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री को इसके लिए ‘पश्चाताप’ कर लेना चाहिए।
वहीं, बहराइच में पुलिस ने कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को पुलिस परेड ग्राउंड में “गार्ड ऑफ ऑनर” दिए जाने को लेकर भी उन्होंने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बीएसपी प्रमुख ने कहा कि पुलिस परेड व सलामी की अपनी परम्परा, नियम, मर्यादा और अनुशासन है जिससे खिलवाड़ कतई नहीं किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि इस मामले में भी लोगों को कार्रवाई का इंतज़ार है।
मायावती ने नीतीश कुमार पर साधा निशाना
मायावती ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का हिजाब हटाने के मामले पर कहा है कि ये महिलाओं की गरिमा और सम्मान से जुड़े संवेदनशील से जुड़ा मुद्दा है जो राजनीतिक बयानबाजी के कारण और बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसपर मुख्यमंत्री को सीधे हस्तक्षेप कर सुलझा लेना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बीएसपी प्रमुख ने सलाह दी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस घटना को सही परिप्रेक्ष्य में देखते हुए इसके लिए पश्चाताप करें और बढ़ते विवाद को यहीं समाप्त करने का प्रयास करें।
कथावाचक को पुलिस द्वारा सलामी देने पर उठाए सवाल
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में पुलिस परेड के दौरान स्थापित परंपराओं से हटकर एक कथावाचक को सलामी देने की घटना पर मायावती ने कहा कि यह बड़ा विवाद बन गया है और इससे सरकार कठघरे में है। उन्होंने कहा कि “पुलिस परेड और सलामी की अपनी परंपरा, नियम, मर्यादा, अनुशासन और पवित्रता है, जिसके साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए।” उन्होंने इसकी सराहना की कि यूपी पुलिस प्रमुख ने घटना का संज्ञान लेकर जिला पुलिस कप्तान से जवाब तलब किया है। अब लोगों को कार्रवाई का इंतजार है। मायावती ने राज्य सरकार से अपील की कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति पर रोक लगाई जाए, ताकि पुलिस अनुशासन और कानून के राज को मजबूती मिले।
उत्तर प्रदेश विधानसभा शीतकालीन सत्र को लेकर असंतोष जताया
मायावती ने उन्नीस दिसंबर से शुरु हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर कहा कि पिछले सत्रों की तरह ये भी जनहित और जनकल्याण के मुद्दों से न जुड़कर सत्ता और विपक्ष के वाद-विवाद में उलझ गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों की खाद समस्या सहित अन्य जनसमस्याओं पर गंभीरता दिखानी चाहिए थी और सदन में जवाबदेह बनना चाहिए था। उन्होंने कहा कि संसद का शीतकालीन सत्र भी दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या सहित देश की अन्य विकराल समस्याओं पर विचार किए बिना ही समाप्त हो गया। बीएसपी सुप्रीमों ने कहा कि पूरे देश को उम्मीद थी कि सरकार और विपक्ष ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करेंगे और कुछ सकारात्मक निकलेगा, लेकिन ऐसा नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। इसी के साथ उन्होंने बांग्लादेश में तेजी से बिगड़ते हालात और नेपाल की तरह बढ़ती भारत-विरोधी गतिविधियों पर भी चिंता जताई है।





