जन्माष्टमी से पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने मंत्रियों और विधायकों को बड़ा तोहफा दिया है। यूपी विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन 14 अगस्त को योगी सरकार ने विधायकों व मंत्रियों के वेतन व भत्ते में भारी बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है।इसके लिए उत्तर प्रदेश राज्य विधान मंडल सदस्य एवं मंत्री सुख- सुविधा विधि (संशोधन) विधेयक 2025 को मंजूरी दी गई है। नई दरें 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगी। इस फैसले से राज्य सरकार पर 105.21 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। अब हर पांच वर्ष में प्राइस इंडेक्स के आधार पर वृद्धि की होगी । इससे पहले 2016 में वृद्धि की गई है।
मंत्रियों-विधायकों के वेतन में इजाफा
- इस फैसले के बाद विधायकों को अब 2.11 लाख रुपये के बजाय 2.96 लाख रुपये प्रति माह मिलेगा। इसमें यात्रा कूपन भी शामिल हैं। वही मंत्रियों को 2.21 लाख रुपये के स्थान पर अब 3.05 लाख रुपये प्रति माह मिलेगा। इसका लाभ एक अप्रैल 2025 से मिलेगा, ऐसे में बकाया भी मिलेगा।
- यह बढोतरी एक अप्रैल 2025 से प्रत्येक पांच वर्ष के बाद आयकर अधिनियम 1961 (अधिनियम संख्या 43 सन 1961) की धारा 48 के तहत उपबंधित लागत मुद्रा स्फीति सूचक के आधार पर वृद्धि की जाएगी। इसके तहत मंत्रियों के वेतन 40 के स्थान पर 50 हजार कर दिया गया है, जबकि विधायकों का 25 की जगह 35 हजार रुपये प्रति माह किया गया है।
भत्तों में इजाफा
- इस विधेयक के तहत निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 50 हजार से 75 हजार रुपये, रेलवे कूपन चार लाख 25 हजार की जगह 5 लाख रुपये कर दिया गया है।
- सत्र व समिति की बैठकों के समय मिलने वाला दैनिक भत्ता 2,000 से बढ़ाकर 2500 रुपये, जनसेवा कार्यों के लिए दैनिक भत्ता 1500 की जगह 2000 रुपये, संसदीय भत्ता 20 हजार की जगह 30 हजार रुपये, चिकित्सा भत्ता 30 हजार रुपये की जगह 45 हजार रुपये और टेलीफोन भत्ता छह हजार के स्थान पर 9 हजार रुपये कर दिया गया है।
पेंशन में भी इजाफा
- संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि विधान परिषद के पूर्व सदस्य को 6 वर्ष पूर्ण करने पर 2 हजार प्रतिमाह का अतिरिक्त पेंशन दी जाएगी। प्रथम वर्ष के पश्चात प्रतिवर्ष 2 हजार बढ़ते रहेंगे।
- अगर किसी का कार्यकाल 6 माह या उससे ज्यादा है तो उसे एक पूरा वर्ष माना जाएगा। वहीं पारिवारिक पेंशन जो अब तक 25 हजार रुपये थी, वह अब बढ़ाकर 30 हजार कर दी गई है।
- पूर्व विधायकों के लिए रेलवे कूपन बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपये कर दिया गया है। इसमें रेल और हवाई जहाज के लिए 50 हजार रुपये और निजी वाहन के पेट्रोल- डीजल के लिए एक लाख रुपये नगद ले सकते हैं। इससे सरकार पर कुल मिलाकर 105 करोड़ 63 लाख रुपये की वार्षिक बोझ आएगा।





