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Fri, Dec 19, 2025

मोमबत्ती नहीं पत्थर लेकर निकाला मार्च, हाथरस की घटना का विरोध

Written by:Shruty Kushwaha
Published:
मोमबत्ती नहीं पत्थर लेकर निकाला मार्च, हाथरस की घटना का विरोध

बैतूल, वाजिद खान। सरकार ने लाख कानून बनाए, सामाजिक संगठनों ने कितने जागरूकता अभियान चलाए लेकिन लड़कियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की घटनाओं में कोई कमी नहीं आ रही है। बल्कि अपराधियों के हौंसले दिनोंदिन इतने बुलंद होते जा रहे हैं कि वो लड़कियों के साथ दुष्कर्म के बाद उनके साथ बेरहमी की सारी हदें पार कर रहे हैं। हाथरस में हुई घटना को लेकर देशभर में आक्रोश है। जगह-जगह इस घटना को लेकर विरोध जताया जा रहा है, बैतूल में भी लड़कियों ने अलग अंदाज़ में इस घटना को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया।

आमतौर पर किसी घटना के विरोध में ज्ञापन सौंपा जाता है या कैंडल मार्च किया जाता है, लेकिन बैतूल में हाथरस की घटना पर महिलाओं ने कुछ अलग ढंग से विरोध जताया। ये हाथों में पत्थर लेकर सड़क पर उतर आईं। मोमबत्ती की बजाय इनके हाथों के पत्थर साफ जाहिर कर रहे थे कि अब महिलाओं के सब्र का बांध टूट चुका है और ऐसी घटनाओं पर वो कड़े रवैये के साथ सामने आ गई हैं।

हाथरस की घटना के खिलाफ बैतूल में महिलाओं ने हाथों में पत्थर लेकर रैली निकाली और फिर पुलिस अधिकारियों को पत्थरों से भरी थैली सौंपी। पत्थर सौंपते वक्त उन्होंने पुलिस अधिकारियों से हाथरस के बलात्कारियों को कड़ी से कड़ी सजा और फांसी पर लटकाने की मांग की। समाजसेवी महिलाओं का कहना है कि हम पहले हाथरस की घटना या दूसरी घटनाओं को लेकर नर्म रवैये के साथ मोमबत्ती जलाते थे, जिस कारण सरकार भी नरमी से काम लेती थी। लेकिन अब हम चाहते हैं कि जैसे पत्थर कठोर होते हैं वैसे ही सरकार भी पत्थर की तरह कठोर निर्णय ले। हम तो यही चाहते हैं कि इन पत्थरों से उन बलात्कारियों को जान से मार दें, लेकिन हम मजबूर हैं उनके पास नहीं पहुंच सकते। महिलाओं के साथ देश में घट रही घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सरकार को कड़ा फैसला लेना चाहिए और आरोपियों को जल्द से जल्द कड़ी से कड़ी सजा मिलना चाहिए।

इस मौके पर समाजसेवी गौरी बालापुरे ने कहा कि जिस तरीके से महिलाओं के साथ अपराध बढ़ रहे हैं उसको लेकर हमने आज पुलिस को पत्थर दिए हैं। इन बलात्कारियों को पत्थर मारे जाएं और फांसी पर लटकाया जाए। उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो। अब हमने ना कैंडल जलाई न ज्ञापन सौंपा, बल्कि अब हमने सीधे पत्थर उठाकर अपना मत जाहिर कर दिया है।