इंदौर के भागीरथपुरा में दूषित पेयजल के कारण हुई मौत और बीमारी की बढ़ती संख्या को लेकर कांग्रेस प्रदेश सरकार पर हमलावर है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा शासन प्रशासन को कटघरे में खड़ा करते हुए सवाल किया है कि जनता के प्रति उनकी क्या जवाबदेही है।
देश के सबसे स्वच्छ शहर की उपलब्धि अपने नाम करने वाली मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी में अगर दूषित पानी से लोगों की जान चली जाए तो भला इससे बढ़कर क्या विसंगति होगी। इस मामले पर हंमागा मचने के बाद राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मृतकों के परिजनों के लिए सहायता राशि की घोषणा करने के साथ संबंधित अधिकारियों पर एक्शन भी लिया है। लेकिन पूरे मामले को लेकर कांग्रेस लगातार प्रदेश की बीजेपी सरकार से सवाल कर रही है।
जीतू पटवारी ने बीजेपी को घेरा
कांग्रेस का कहना है कि जिस इंदौर को लगातार देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया जाता रहा है,लेकिन उसी शहर में यदि दूषित पानी पीने से लोगों की जान चली जाए तो यह न सिर्फ प्रशासनिक विफलता है बल्कि स्वच्छता के सरकारी दावों पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इंदौर के प्रभारी मंत्री, नगरीय प्रशासन मंत्री, महापौर, सांसद और सभी विधायकों से प्रश्न किया है कि आठ बार सबसे स्वच्छ शहर होने का खिताब किस काम का है, जब स्वच्छ पानी उपलब्ध न कराने के कारण आठ लोगों की जान चली जाती है। उन्होंने कहा कि ‘सरकार की लापरवाही के कारण हमारे अपने लोगों का इस तरह असमय जाना अत्यंत दुखद और असहनीय है। यह केवल मौतें नहीं हैं, बल्कि एक आपराधिक लापरवाही का परिणाम हैं।’
सरकार से किए सवाल
इस मामले में अब तक आधिकारिक रूप से तीन लोगों की मौत की पुष्टि की गई है लेकिन अनाधिकारिक रूप से नौ लोगों की जान जाने की खबर आ रही है। वहीं हज़ार से अधिक लोग बीमार हैं और उनमें से कई अस्पतालों में भर्ती है। जीतू पटवारी ने बीजेपी सरकार को घेरते हुए कहा है कि आज पूरा इंदौर शोक और पीड़ा की गहरी लहर में डूबा हुआ है। उन्होंने कहा है कि ‘लाखों मतदाताओं से मिले विश्वास और वोटों का धन्यवाद क्या आप ज़हरीला पानी पिला कर उनकी जान लेकर देना चाहते हैं?’ नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी इस मामले पर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कि ये भाजपा सरकार का सबसे क्रूर और अमानवीय उदाहरण है।





