Wed, Dec 31, 2025

उज्जैन में दिव्य नज़ारा: 11 हजार डमरू, 5 लाख रुद्राक्ष से महाकाल धाम की भव्य सजावट

Written by:Bhawna Choubey
Published:
धर्मधानी उज्जैन में नए साल का स्वागत भक्ति, परंपरा और दिव्यता के साथ होगा। महाकाल मंदिर में 11 हजार डमरू और पांच लाख रुद्राक्ष से विशेष सजावट की जा रही है, वहीं शहर के प्रमुख मंदिरों में भी भव्य इंतजाम किए गए हैं।
उज्जैन में दिव्य नज़ारा: 11 हजार डमरू, 5 लाख रुद्राक्ष से महाकाल धाम की भव्य सजावट

देश के कई शहरों में नया साल पार्टियों, संगीत और आतिशबाजी के साथ मनाया जाता है, लेकिन धर्मधानी उज्जैन में नए साल का अर्थ कुछ और ही होता है। यहां साल की पहली सुबह भगवान के दर्शन, आरती और भक्ति से शुरू होती है। यही वजह है कि 31 दिसंबर की रात जैसे-जैसे खत्म होती है, वैसे-वैसे उज्जैन के मंदिरों में श्रद्धालुओं की आहट तेज हो जाती है।

अंग्रेजी नया साल 2026 भी उज्जैन में सनातन परंपरा के अनुरूप मनाया जाएगा। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर सहित कालभैरव, मंगलनाथ, चिंतामन गणेश, गढ़कालिका और चामुंडा माता मंदिर में विशेष सजावट, दर्शन व्यवस्था और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं। इस बार महाकाल मंदिर की सजावट पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है।

महाकाल मंदिर में नए साल की भव्य तैयारी

नए साल के अवसर पर महाकाल मंदिर को अद्भुत और आध्यात्मिक स्वरूप दिया जा रहा है। मंदिर प्रबंधन के अनुसार इस बार श्री महाकाल महालोक और मंदिर परिसर को 11 हजार डमरू और लगभग पांच लाख रुद्राक्ष से सजाया जाएगा। यह सजावट गुजरात के डमरू फाउंडेशन संस्थान द्वारा की जा रही है, जो पहले भी धार्मिक आयोजनों में अपनी विशेष सजावट के लिए जाना जाता रहा है। डमरू भगवान शिव का प्रतीक माने जाते हैं, जबकि रुद्राक्ष को स्वयं शिव का स्वरूप कहा गया है। ऐसे में डमरू और रुद्राक्ष से सजा महाकाल मंदिर न सिर्फ देखने में भव्य होगा, बल्कि इसका आध्यात्मिक महत्व भी कई गुना बढ़ जाएगा। श्रद्धालुओं का मानना है कि रुद्राक्ष और डमरू के बीच दर्शन करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

गर्भगृह और नंदी मंडपम में फूलों की खास सजावट

महाकाल मंदिर के गर्भगृह और नंदी मंडपम को भी फूलों से विशेष रूप से सजाया जाएगा। पारंपरिक पुष्प सज्जा के साथ-साथ आधुनिक लाइटिंग का भी उपयोग किया जा रहा है, ताकि श्रद्धालुओं को दिव्यता और भव्यता दोनों का अनुभव हो सके। मंदिर समिति का कहना है कि नए साल के पहले दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं की भावना को ध्यान में रखते हुए सजावट में किसी तरह की कमी नहीं रखी जा रही है। सुबह के समय जब भगवान महाकाल के दर्शन होंगे, तब पूरा परिसर भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा से भरा हुआ नजर आएगा।

महाकाल दर्शन के लिए बदली गई प्रवेश व्यवस्था

नए साल पर लाखों श्रद्धालुओं के उज्जैन पहुंचने की संभावना को देखते हुए महाकाल मंदिर में दर्शन व्यवस्था को विशेष रूप से तैयार किया गया है। सामान्य दर्शनार्थियों को चारधाम मंदिर के सामने से शक्तिपथ मार्ग होते हुए त्रिवेणी संग्रहालय द्वार से मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। श्रद्धालुओं के स्वागत में रेड कारपेट बिछाई जाएगी, ताकि दर्शन के लिए आने वालों को सम्मान और सुविधा दोनों का अनुभव हो। मंदिर समिति का उद्देश्य है कि श्रद्धालु बिना धक्का-मुक्की और अव्यवस्था के शांतिपूर्वक भगवान महाकाल के दर्शन कर सकें।

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम

महाकाल मंदिर परिसर में नए साल पर श्रद्धालुओं की सुविधा को प्राथमिकता दी गई है। जूता स्टैंड, पेयजल व्यवस्था, लड्डू प्रसाद काउंटर, खोया-पाया केंद्र और प्राथमिक चिकित्सा जैसी सुविधाओं को मजबूत किया गया है। इसके अलावा सफाई व्यवस्था पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है, ताकि भारी भीड़ के बावजूद परिसर स्वच्छ बना रहे। मंदिर प्रशासन और स्वयंसेवी संगठन मिलकर व्यवस्था संभालेंगे, जिससे किसी भी श्रद्धालु को परेशानी न हो।