उज्जैन की पहचान केवल महाकाल की नगरी के रूप में ही नहीं, बल्कि आस्था और परंपराओं की खास मिसाल के रूप में भी है। एक बार फिर उज्जैन में आस्था ने इतिहास रच दिया। उज्जैन के संतोषी माता मंदिर में ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने देश ही नहीं बल्कि दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। श्रद्धालुओं की सच्ची भक्ति और मिलकर किए गए प्रयासों से संतोषी माता मंदिर का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। बिना खटाई के 173 अलग-अलग व्यंजनों का महाभोग न सिर्फ धार्मिक रूप से खास रहा, बल्कि यह उज्जैन के गौरव का प्रतीक भी बन गया।
उज्जैन संतोषी माता मंदिर में ऐतिहासिक महाभोग
उज्जैन के संतोषी माता मंदिर में लगाया गया यह महाभोग अपने आप में बहुत खास था। मान्यता के अनुसार संतोषी माता को बिना खटाई का भोग लगाया जाता है। लेकिन इतनी बड़ी संख्या में अलग-अलग व्यंजन पहली बार तैयार किए गए। शुरुआत में मंदिर समिति और श्रद्धालुओं ने 156 व्यंजन लगाने का लक्ष्य रखा था। जैसे-जैसे दिन बीतता गया, श्रद्धालुओं का उत्साह बढ़ता गया। शाम की आरती तक व्यंजनों की संख्या बढ़कर 173 हो गई। हर भोग साफ-सफाई, नियम और पूरी श्रद्धा के साथ बनाया गया।
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की पुष्टि
महाभोग अर्पित करने के बाद गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम मंदिर पहुंची। टीम ने एक-एक व्यंजन को गिना और जांच की कि सभी भोग बिना खटाई के हैं या नहीं। जांच पूरी होने के बाद संतोषी माता मंदिर के नाम पर रिकॉर्ड दर्ज होने की घोषणा की गई। जैसे ही यह खबर मिली, मंदिर परिसर में खुशी फैल गई। श्रद्धालुओं ने जयकारे लगाए, आतिशबाजी हुई और पूरा माहौल उत्सव में बदल गया। यह रिकॉर्ड पूरे उज्जैन शहर के लिए गर्व की बात बन गया।
मुख्य पुजारी ने बताई परंपरा
मंदिर के मुख्य पुजारी मनोज पुरी गोस्वामी ने बताया कि संतोषी माता को बिना खटाई का भोग चढ़ाने की परंपरा बहुत पुरानी है। माता को गुड़, चना, चावल, मिठाइयां और सादा भोजन पसंद है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में व्यंजन माता को अर्पित किए गए। सभी भोग वैदिक नियमों और पूरी पवित्रता के साथ बनाए गए। यह आयोजन केवल रिकॉर्ड के लिए नहीं, बल्कि माता की कृपा पाने के लिए किया गया था।
संतोषी माता मंदिर उज्जैन
उज्जैन का संतोषी माता मंदिर अगस्त्येश्वर महादेव मंदिर परिसर में स्थित है। मान्यता है कि यहां मौजूद संतोषी माता की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई है, यानी यह स्वयंभू है। यह मंदिर 1975 में बनी प्रसिद्ध फिल्म ‘जय संतोषी मां’ की शूटिंग के बाद और ज्यादा प्रसिद्ध हुआ। तभी से यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई। हर शुक्रवार और खास दिनों पर बड़ी संख्या में भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं।
श्री अगस्त्येश्वर महादेव को भी चढ़ाया गया भोग
इस खास आयोजन में संतोषी माता के साथ-साथ मंदिर परिसर में मौजूद प्राचीन श्री अगस्त्येश्वर महादेव को भी विशेष भोग लगाया गया। अगस्त्येश्वर महादेव उज्जैन के 84 महादेवों में से एक माने जाते हैं। इस मौके पर उनका भी सुंदर श्रृंगार किया गया। संतोषी माता और श्री अगस्त्येश्वर महादेव का दिव्य रूप देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

महाप्रसादी में उमड़ी भारी भीड़
महाभोग के बाद महाप्रसादी का आयोजन किया गया। इसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। प्रसाद पूरी तरह शुद्ध और परंपरा के अनुसार तैयार किया गया था। श्रद्धालुओं ने कहा कि उन्होंने ऐसा आयोजन पहले कभी नहीं देखा। लोगों ने इसे माता की कृपा और उज्जैन की धार्मिक शक्ति का प्रमाण बताया। छोटे बच्चे हों या बुजुर्ग, सभी के चेहरे पर खुशी साफ दिखाई दे रही थी।
उज्जैन की धार्मिक पहचान और मजबूत हुई
इस रिकॉर्ड से उज्जैन की धार्मिक पहचान और मजबूत हुई है। महाकाल लोक, सिंहस्थ कुंभ और 84 महादेवों के कारण उज्जैन पहले से ही प्रसिद्ध है। अब संतोषी माता मंदिर का यह रिकॉर्ड उज्जैन को एक नई पहचान दे रहा है। धार्मिक पर्यटन के लिहाज से भी यह आयोजन बहुत महत्वपूर्ण है। आने वाले समय में देश-विदेश से और ज्यादा श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं।
श्रद्धालुओं की भागीदारी बनी सबसे बड़ी ताकत
इस आयोजन की सबसे बड़ी खासियत श्रद्धालुओं की भागीदारी रही। किसी एक व्यक्ति ने नहीं, बल्कि सैकड़ों लोगों ने मिलकर यह आयोजन सफल बनाया। किसी ने सामग्री दी, किसी ने खाना बनाया, तो किसी ने व्यवस्था संभाली। सभी ने मिलकर आस्था और विश्वास के साथ यह इतिहास रचा।
बिना खटाई की खास परंपरा
संतोषी माता को बिना खटाई का भोग चढ़ाने की परंपरा बहुत खास मानी जाती है। माना जाता है कि माता को खट्टा भोजन पसंद नहीं है। इसलिए उनके व्रत और पूजा में खटाई से दूर रहा जाता है। 173 व्यंजनों का यह महाभोग भी इसी परंपरा को ध्यान में रखकर बनाया गया। इतनी बड़ी संख्या में बिना खटाई के व्यंजन बनाना आसान नहीं होता, यही बात इस रिकॉर्ड को और खास बनाती है।
गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज होना क्यों खास है
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज होना बहुत बड़ी बात मानी जाती है। इसका मतलब है कि यह आयोजन दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है। संतोषी माता मंदिर का यह रिकॉर्ड उज्जैन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में मदद करेगा। आने वाले समय में ऐसे आयोजन दूसरे मंदिरों और धार्मिक संस्थाओं को भी प्रेरित करेंगे।




