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Mon, Dec 22, 2025

उज्जैन महाकाल मंदिर में अनोखी भेंट, 111 किलो पीतल के नंदी को देख भावुक हुए श्रद्धालु

Written by:Bhawna Choubey
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विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में जयपुर निवासी भक्त द्वारा 111 किलो पीतल के नंदी की भेंट की गई। जल्द ही मंदिर में इसकी प्रतिष्ठा की जाएगी, जिससे श्रद्धालुओं का उत्साह और भक्ति भाव बढ़ गया है।
उज्जैन महाकाल मंदिर में अनोखी भेंट, 111 किलो पीतल के नंदी को देख भावुक हुए श्रद्धालु

उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर, जो पूरे देश में प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है, रविवार को एक खास धार्मिक अवसर का साक्षी बना। जयपुर के रहने वाले विपिन बंसल ने भगवान महाकाल के गण नंदीजी की 111 किलो पीतल की मूर्ति मंदिर को भेंट की। मंदिर प्रशासन ने बताया कि इस प्रतिमा को जल्द ही मंदिर परिसर में उचित एवं पवित्र स्थान पर स्थापित किया जाएगा। इस दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए खास इंतजाम भी किए गए, ताकि सभी लोग इस पावन भेंट के दर्शन कर सकें।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक ने बताया कि विपिन बंसल ने यह भेंट पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से दी है। उन्होंने कहा कि यह प्रतिमा मंदिर की सुंदरता को और बढ़ाएगी। मंदिर प्रशासन के अनुसार, नंदी प्रतिमा की प्रतिष्ठा के बाद श्रद्धालु इसके दर्शन कर सकेंगे।

शौर्य समृद्धि 108 कुंडी गायत्री महायज्ञ का भूमिपूजन

उज्जैन जिले के खाचरौद ब्लॉक में 1 से 5 जनवरी तक शौर्य समृद्धि 108 कुंडी गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इस बड़े धार्मिक आयोजन से पहले रविवार को भारत कामर्स विद्यालय परिसर में ध्वजारोहण और भूमिपूजन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और आयोजक शामिल हुए।

1 जनवरी को महायज्ञ की शुरुआत कलश यात्रा से होगी। यह यात्रा नगर के अलग-अलग रास्तों से होते हुए यज्ञशाला प्रांगण तक पहुंचेगी। कार्यक्रम के समापन पर शांतिकुंज, हरिद्वार से आई टोली द्वारा आरती की जाएगी और लोगों को मार्गदर्शन दिया जाएगा। इस आयोजन से पूरे क्षेत्र में धार्मिक उत्साह देखने को मिल रहा है।

2 जनवरी से देव आह्वान के साथ महायज्ञ शुरू होगा

2 जनवरी से देव आह्वान के साथ 108 कुंडी गायत्री महायज्ञ का विधिवत शुभारंभ होगा। इसमें आसपास के गांवों से आए श्रद्धालु और स्थानीय जोड़े भाग लेंगे। हर दिन सुबह 8 बजे यज्ञ शुरू होगा और शाम 7 बजे प्रवचन होंगे। यह महायज्ञ लोगों को आपस में जोड़ने का काम करेगा। बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों सभी के लिए यह आयोजन धार्मिक शिक्षा और संस्कार सीखने का अच्छा अवसर बनेगा। इससे समाज में एकता और भक्ति की भावना मजबूत होगी।