उज्जैन (Ujjain) के किसानों और स्थानीय संगठनों की मेहनत रंग लाई। लंबे समय से विवादों और विरोधों के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने आखिरकार उज्जैन लैंड पूलिंग एक्ट को पूरी तरह रद्द कर दिया है। मंगलवार देर रात जारी अधिसूचना में उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा तैयार की गई नगर विकास योजना 8, 9, 10 और 11 को भी निरस्त कर दिया गया।
यह फैसला सिर्फ कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि उज्जैन के किसानों के अधिकारों की जीत और लोकतांत्रिक आवाज़ की मजबूती है। 2028 में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ की तैयारियों में यह मोड़ नए सवाल खड़े कर रहा है कि क्या स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण योजना अब बदल जाएगी।
उज्जैन लैंड पूलिंग एक्ट
2028 में उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ के लिए सरकार ने स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के उद्देश्य से लैंड पूलिंग एक्ट लागू किया था। इस एक्ट के तहत लगभग 2,800 हेक्टेयर जमीन, जिसमें ज्यादातर निजी कृषि भूमि थी, को विकास के लिए लिया जाना था। इसका मकसद महाकुंभ के लिए स्थायी सड़कें और भवन बनाना था।
किसानों की चिंता
किसानों को डर था कि इस एक्ट के बाद उनकी जमीन पर उनका अधिकार खत्म हो जाएगा। डेवलपमेंट के बाद उन्हें जमीन का केवल एक हिस्सा वापस मिलेगा और बाकी जमीन के लिए मुआवज़ा दिया जाएगा। इसके बावजूद उस जमीन पर उनका कोई अधिकार नहीं रहेगा। किसानों को यह भी चिंता थी कि भविष्य में सरकार उनके खेत पर पक्का कब्ज़ा कर सकती है, जिससे उनकी रोज़ी-रोटी और खेती प्रभावित हो सकती है।
किसानों और संगठनों का विरोध
किसानों और स्थानीय संगठनों ने इस नीति का जोरदार विरोध किया। उनका कहना था कि यह नीति उनके जीवन और आजीविका पर सीधे असर डालती है। उन्होंने धरने और प्रदर्शन किए, सरकारी अधिसूचनाओं का अध्ययन किया और मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज़ उठाई। इन विरोधों के बाद सरकार को इस नीति पर पुनर्विचार करना पड़ा।
सरकार की प्रतिक्रिया
मंगलवार देर रात सरकार ने अधिसूचना जारी की जिसमें कहा गया कि उज्जैन लैंड पूलिंग एक्ट पूरी तरह रद्द किया जा रहा है। साथ ही नगर विकास योजना 8, 9, 10 और 11 भी निरस्त कर दी गई हैं। उज्जैन विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि यह फैसला किसानों की सुरक्षा और स्थानीय हितों को ध्यान में रखकर लिया गया। सरकार ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में लोगों की आवाज़ को महत्व देना जरूरी है।

2028 सिंहस्थ महाकुंभ पर असर
लैंड पूलिंग एक्ट रद्द होने से महाकुंभ के लिए स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण की योजना में नई चुनौतियाँ सामने आई हैं। पहले प्रस्तावित जमीन अब उपलब्ध नहीं है और डेवलपमेंट की गति धीमी पड़ सकती है। इसके अलावा बजट और योजना में भी बदलाव करना पड़ सकता है। हालांकि किसानों की जमीन सुरक्षित रही और स्थानीय लोगों की भागीदारी संरक्षित रही।





