गुरुवार को अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की। ईडी ने रिलायंस ग्रुप से जुड़ी 35 से ज्यादा जगहों पर छापा मारा। यह छापेमारी यस बैंक लोन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच के तहत की गई। इसका सीधा असर कंपनी के शेयरों पर पड़ा। रिलायंस पावर का शेयर बीएसई पर 5% टूटकर 59.70 रुपये पर आ गया, जबकि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर 4.99% गिरकर लोअर सर्किट पर पहुंच गया।
3000 करोड़ के लोन डायवर्जन की जांच
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2017 से 2019 के बीच यस बैंक से रिलायंस ग्रुप को 3000 करोड़ रुपये का लोन मिला था। ईडी को शक है कि इस रकम को शेल कंपनियों और रिलायंस ग्रुप की अन्य कंपनियों में घुमा दिया गया। जांच में यह भी सामने आया है कि यस बैंक के कुछ अधिकारियों को रिश्वत भी दी गई थी। इसमें बैंक के तत्कालीन प्रमोटर्स के भी शामिल होने की आशंका जताई गई है।
रिलायंस पावर और इंफ्रास्ट्रक्चर का बयान
रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर दोनों ने इस छापेमारी को लेकर सफाई दी है। कंपनियों का कहना है कि यह कार्रवाई रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) या रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) से जुड़े पुराने मामलों के संबंध में हो सकती है, जिनका रिलायंस पावर या इंफ्रास्ट्रक्चर से कोई सीधा लेना-देना नहीं है। रिलायंस पावर ने कहा कि वह एक स्वतंत्र कंपनी है और उसका RCOM या RHFL से कोई कारोबारी या वित्तीय संबंध नहीं है। कंपनी ने यह भी साफ किया कि अनिल अंबानी अब रिलायंस पावर के बोर्ड में नहीं हैं, इसलिए उनका किसी पुराने मामले से कंपनी के ऑपरेशन पर कोई असर नहीं होगा।
पहले भी लग चुके हैं गंभीर आरोप
रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) के लोन पोर्टफोलियो में अचानक उछाल भी पहले जांच के घेरे में आ चुका है। सेबी की रिपोर्ट के अनुसार, RHFL का कॉर्पोरेट लोन पोर्टफोलियो 2017-18 में 3,742 करोड़ से बढ़कर 2018-19 में 8,670 करोड़ रुपये हो गया था। इसके अलावा, 10 नवंबर 2020 को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अनिल अंबानी और RCOM को ‘फ्रॉड’ घोषित करते हुए CBI में केस दर्ज कराया था। कई मामले अभी भी कोर्ट और ट्रिब्यूनल में चल रहे हैं।





