अतिथि शिक्षकों से जुड़ी कई ख़बरें आपने पढ़ी होंगी लेकिन हम यहाँ एक ऐसी खबर बता रहे हैं जो सबसे अलग है, मामला अतिथि शिक्षक की बर्खास्तगी और उनकी बहाली के लिए छात्राओं का कलेक्टर से भिड़ने से जुड़ा है, चूँकि इस घटना में पैसे के लेनदेन की बात सामने आई और कलेक्टर के सामने अतिथि शिक्षक ने पैसे लेना स्वीकार किया तो कलेक्टर अपने एक्शन पर अड़े है लेकिन पैसे क्यों लिए गए ये बड़ा सवाल है ? जो इस खबर को अलग बनाता है, इस रिपोर्ट में आपको पूरा घटनाक्रम बताते हैं …
दमोह जिले के तेजगढ़ के सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल में सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था, छात्राएं पढ़ लिख रही थी कि बीते 15 नवंबर को जिले के कलेक्टर सुधीर कोचर इस स्कूल में पहुंचे, उन्होंने एक अभियान के तहत स्टूडेंट्स को आयरन की गोलियां बांटी और फिर डीएम कोचर ने बच्चियों से संवाद किया, उनके इस संवाद के दौरान एक लड़की ने शिकायत की कि उनके टीचर प्रेक्टिकल के नाम पर 50 रुपए ले रहे हैं और ये सुनकर कलेक्टर गुस्से में आ गए, टीचर को तलब किया है डीएम ने पूछा और टीचर ने कबूल किया कि हां उसने पैसे लिए है फिर क्या था कलेक्टर का नाराज होना लाजिमी था, उन्होंने हल्की फुल्की फटकार लगाई और दूसरे लोगों से बात करने लगे लेकिन बच्ची की शिकायत और टीचर के कबूलनामें के बाद दमोह पहुंचकर कलेक्टर ने शिक्षक को नौकरी से निकालने का आदेश दे दिया।
टीचर ने पैसे लिए बात सही लेकिन क्यों लिए ये नहीं जाना, कलेक्टर ने किया बर्खास्त
सवाल ये है कि शिक्षक ने पैसे किस बात के लिए ये डीएम साहब जानना भूल गए और अब ये मामला बबाल बनता जा रहा है। जिस टीचर को बर्खास्त किया गया वो असल में अतिथि शिक्षक रामप्रकाश गुप्ता है जो कि इस हायर सेकेंडरी स्कूल में भूगोल विषय पढ़ाते थे। टीचर रामप्रकाश गुप्ता की माने तो स्कूल में जब कलेक्टर साहब ने उन से पूछा तो उनके पैसे लेना कबूल करने की बात सुनने के बाद कलेक्टर ने उनकी कोई बात सुनी ही नहीं न कोई बात हुई और उसके बाद उन्हें मालूम चला कि 1 दिसंबर से उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई है मतलब वो टर्मिनेट कर दिए गए हैं।
टीचर बोले – बच्चों की मदद के लिए लाया फ़ाइल, उसके पैसे लिए जिसे रिश्वत मान लिया
उन्होंने कहा कि बच्चों के कहने से वे दमोह के बाजार से उनके लिए फ़ाइल लेकर आये थे क्योंकि स्थानीय बाजार में उपलब्ध नहीं थी उन्होंने इसी के पैसे लिए थे लेकिन कलेक्टर ने इसे रिश्वत मान लिया और मुझे नौकरी से हटा दिया। स्कूल प्रिंसिपल आर पी सिंह ने भी रामप्रकाश गुप्ता को सही बताया। ये मामला बहुत सामान्य घटना लगेगी लेकिन बात तब बढ़ जाती है जब ग्रामीण परिवेश की छात्राएं सिर्फ एक टीचर के लिए कलेक्टर से भी भिड़ने को तैयार हो जाएं। बीते 28 नवंबर को छात्राएं दमोह आई लेकिन उस दिन कलेक्टर उन्हें नहीं मिले छात्राएं वापस चली गई लेकिन उनसे नहीं रहा गया तो एक बार फिर छात्राओं ने दमोह का रुख किया और कलेक्टर की नियमित जनसुनवाई में पहुंच गई।
कलेक्टर के फैसले पर उनसे भिड़ी छात्राएं, बोलीं सर ने पैसे नहीं लिए
स्कूल यूनिफार्म में डीएम के सामने पहुंची छात्राओं ने कलेक्टर से लम्बी जिरह की, अपने टीचर की सच्चाई बताई और बताया कि वो निर्दोष है, उन्होंने प्रैक्टिकल के नाम पर पैसे नहीं मांगे बल्कि जो फाइल लड़कियों से दमोह से मंगवाई थी सर ने वो पैसे लिए हैं। इस दौरान छात्राओं और कलेक्टर के बीच गहमागहमी भी हुई अमूमन बेहद सौम्य शालीन स्वभाव के कलेक्टर सुधीर कोचर को गुस्सा भी आया। उन्होंने बच्चियों को समझाते हुए कड़क स्वभाव में कहा भी कि अब वो टीचर तो नहीं रहेगा वहीं स्कूल में नए टीचर की नियुक्ति करा दी जाएगी। छात्राएं निराश होकर कलेक्टर ऑफिस से चली गई लेकिन वो भी अडिग हैं कि भूगोल पढ़ाने के लिए तो वहीं टीचर आयेंगे।
कलेक्टर बोले – बच्चों को मोटिवेट करके भेजा जा रहा, फैसला नहीं बदलेगा
एक गेस्ट टीचर के लिए स्कूल की छात्राओं का एक नहीं बल्कि दो दो बार दमोह आना और सिफारिश करना कलेक्टर को न गवार गुजर रहा है। कलेक्टर कहते है कि बच्चों को मोटिवेट करके भेजा जा रहा है और ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, संबंधित टीचर ने खुद उनके सामने कबूल किया कि पैसे लिए हैं तो फिर किसी बात पर यकीन कैसे किया जाएं। और वो टीचर तो अब नहीं रहेगा। स्कूली छात्राओं के द्वारा ये सब करना और फिर जिले के प्रशासनिक मुखिया का अड़ने वाला रुख कहीं न कहीं सोचने मजबूर जरूर करता है और ये सब जानकर बर्खास्त टीचर कहते है कि मेरी इतनी बड़ी गलती नहीं है कि इससे मुझे नौकरी से निकाला जाए।
गेस्ट टीचर की बर्खास्तगी का मामला बना चर्चा का विषय, सही बात बाहर आना जरूरी
ये पूरा मामला बहुत सामान्य सा मामला नजर आएगा, आज के दौर में गेस्ट टीचर जैसा पद बेहद छोटी पोस्ट मानी का सकती है लेकिन सवाल सिस्टम का है जब छात्राओं के सामने जिले के सबसे बड़े अफसर हैं तो मामला सोचने तो मजबूर करता है। इस मामले में जो रुख कलेक्टर का है उसे देखकर लगता है कि कहीं न कहीं कलेक्टर ने जांच पड़ताल के बाद सोच समझकर टीचर को बर्खास्त किया हो और अब खुद शिक्षक बच्चियों को मोटिवेट करके डीएम के पास भेज रहे हों । वहीं बात ये भी है कि ऐसा न हो कि कलेक्टर ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लिया हो जबकि बेहद संवेदनशील मानें जानें वाले डीएम कोचर का ऐसा रूप देखने को मिल रहा है। मामला बहुत छोटा ही सही लेकिन जब सार्वजनिक हुआ है तो चूंकि कलेक्टर से खुद जुड़ा है ऐसे में प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री को इस मामले की जांच किसी बड़े अफसर से कराना चाहिए ताकि जिसका भी दोष हो वो सामने आए और भविष्य में ऐसा कोई मामला सामने न आने पाए।
दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट





