Tue, Dec 23, 2025

दिल्ली में स्क्रैपिंग के नाम पर ‘लूट’ का आरोप, सीएम रेखा गुप्ता समेत 10 बड़े अधिकारियों पर कोर्ट में याचिका

Written by:Vijay Choudhary
Published:
एडवोकेट कुल्थिया ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300ए (संपत्ति का अधिकार), अनुच्छेद 19(1)(ड) (आवागमन की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 19(1)(ग) (व्यवसाय की स्वतंत्रता), और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का उल्लंघन करती है।
दिल्ली में स्क्रैपिंग के नाम पर ‘लूट’ का आरोप, सीएम रेखा गुप्ता समेत 10 बड़े अधिकारियों पर कोर्ट में याचिका

दिल्ली में पुराने वाहनों को जब्त कर स्क्रैपिंग एजेंसियों को सौंपने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए गुरुग्राम के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकेश कुल्थिया ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता समेत दस प्रमुख नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ याचिका दाखिल की है। यह याचिका गुरुग्राम की एडिशनल सेशन कोर्ट में दाखिल की गई है, जिसमें दिल्ली सरकार और विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों पर “झूठे आदेशों का हवाला देकर” नागरिकों की गाड़ियों को अवैध रूप से जब्त करने, स्क्रैपिंग एजेंसियों को सौंपने और इस पूरे अभियान को एक “सुनियोजित लूट और आपराधिक षड्यंत्र” करार दिया गया है। एडवोकेट कुल्थिया का कहना है कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत किसी वाहन की वैध उम्र 15 साल तय है, और उसके बाद 5 साल के रिन्युअल की भी कानूनी व्यवस्था मौजूद है। ऐसे में वैध दस्तावेज और फिटनेस के बावजूद यदि कोई वाहन जब्त किया जा रहा है, तो यह सीधे-सीधे संपत्ति के अधिकार और कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन है।

संविधान के अनुच्छेदों के उल्लंघन का आरोप

याचिका में केवल राज्य स्तर के नहीं, बल्कि केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों को भी प्रतिवादी बनाया गया है। इनमें दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, पूर्व परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत, दिल्ली के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा, गृह सचिव गोविंद गोहन, परिवहन विभाग की सचिव/आयुक्त निहारिका राय, दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा, ट्रैफिक स्पेशल सीपी अजय चौधरी, एडिशनल सीपी ट्रैफिक दिनेश गुप्ता और CQAM सदस्य वीरेंद्र शर्मा के नाम शामिल हैं। एडवोकेट कुल्थिया ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300ए (संपत्ति का अधिकार), अनुच्छेद 19(1)(ड) (आवागमन की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 19(1)(ग) (व्यवसाय की स्वतंत्रता), और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का उल्लंघन करती है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का गलत इस्तेमाल

इस याचिका में यह भी दावा किया गया है कि सरकार और एजेंसियों ने सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के आदेशों का गलत और मनमाना इस्तेमाल किया है। NGT ने 26 नवंबर 2014 को एक आदेश में कहा था कि 15 साल से पुराने वाहन दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर खड़े नहीं किए जा सकते और ऐसी स्थिति में पुलिस उन्हें जब्त कर सकती है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टूबर 2018 को कहा था कि एंड ऑफ लाइफ (EOL) वाहन NCR में नहीं चल सकते। कुल्थिया का कहना है कि इन आदेशों को सरकार ने वाहन जब्ती और स्क्रैपिंग का लाइसेंस बना लिया है। बिना यह देखे कि वाहन तकनीकी रूप से फिट है या नहीं, केवल आयु के आधार पर जब्ती और स्क्रैपिंग संविधान और मोटर वाहन अधिनियम के खिलाफ है।

लोगों का बढ़ता विरोध जिम्मेदार

CAQM (वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) द्वारा जारी किए गए ताजा आदेशों के अनुसार, 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को अब 1 नवंबर 2025 से किसी भी पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं मिलेगा। पहले यह प्रतिबंध 1 जुलाई से लागू किया जाना था, लेकिन जनता के विरोध के कारण इसे टालना पड़ा। लोगों का कहना है कि यदि वाहन तकनीकी रूप से फिट है और प्रदूषण नहीं फैला रहा, तो उसे केवल उम्र के आधार पर सजा देना गैरवाजिब है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी 3 जुलाई को इस आदेश को टालने की अपील की थी, जिसे स्वीकार किया गया।