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Thu, Dec 18, 2025

हिमाचल हाईकोर्ट ने सहायक वार्डन भर्ती परिणाम पर लगाई रोक, कई अहम मामलों में सुनवाई जारी

Written by:Neha Sharma
Published:
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गोरखी देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सहायक वार्डन पद की भर्ती परीक्षा का परिणाम घोषित करने पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि बिना अनुमति के परिणाम जारी नहीं होंगे।
हिमाचल हाईकोर्ट ने सहायक वार्डन भर्ती परिणाम पर लगाई रोक, कई अहम मामलों में सुनवाई जारी

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गोरखी देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सहायक वार्डन पद की भर्ती परीक्षा का परिणाम घोषित करने पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि बिना अनुमति के परिणाम जारी नहीं होंगे। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने सरकार और निजी प्रतिवादी से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिका में आरोप लगाया गया कि एक उम्मीदवार को अनुचित लाभ देने की कोशिश की गई। कहा गया कि आवेदन की अंतिम तिथि 30 अप्रैल तक उम्मीदवार ने एनएसएस प्रमाणपत्र जमा नहीं किया था, लेकिन बाद में शिक्षा सचिव ने देर से आए प्रमाणपत्र को मान्य करने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता के अनुसार यह प्रमाणपत्र 29 जुलाई तक अस्तित्व में ही नहीं था। दस्तावेजों के मुताबिक स्कूल प्रिंसिपल ने 16 स्वयंसेवकों के प्रमाणपत्र हस्ताक्षर के लिए जुलाई में भेजे थे। अदालत ने चयन प्रक्रिया रोकने के बजाय निर्देश दिया कि प्रक्रिया जारी रहे, पर परिणाम न घोषित हों।

हिमाचल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने मातृत्व अवकाश के दौरान सेवा नियमित करने के बाद अवकाश रद्द करने को अवैध करार देते हुए विभागीय आदेश रद्द कर दिए। न्यायाधीश संदीप शर्मा की पीठ ने 13 और 23 दिसंबर 2021 तथा 19 जून 2025 के आदेश निरस्त किए और याचिकाकर्ता को चार सप्ताह में सभी देय राशि जारी करने के निर्देश दिए। देरी पर छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना होगा। यह मामला जेबीटी शिक्षिका कामिनी शर्मा से जुड़ा है, जिन्होंने अगस्त 2021 में बच्चे के जन्म के बाद 180 दिन का मातृत्व अवकाश लिया था। नियमितीकरण के बाद उन्होंने अवकाश जारी रखने की सूचना दी थी, लेकिन विभाग ने दो महीने बाद आदेश बदलकर उन्हें अनुपस्थित मान लिया।

वृद्ध आश्रमों से जुड़े एक मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला नगर निगम को पक्षकार बनाया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने निगम से हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि क्या वह कोई वृद्ध आश्रम चलाता है, उनका रखरखाव करता है या उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करता है। मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में 9 वृद्ध आश्रम और 22 डे केयर सेंटर संचालित हैं।

इसके अलावा, सिरमौर जिले के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मामले में 3 सितंबर से लगातार अंतिम सुनवाई होगी। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की पीठ ने सभी पक्षों की मांग पर यह निर्णय लिया। इस कानून के पक्ष और विपक्ष में करीब एक दर्जन याचिकाएं दायर हैं, जिनमें कहा गया है कि एससी, ओबीसी और प्रभावशाली जातियों को एसटी सूची में शामिल करने में मनमानी हुई। उच्च न्यायालय ने इस पर पहले से अंतरिम रोक लगा रखी है और मामले में तीन से चार कानूनी बिंदुओं पर बहस होगी।