पाकिस्तान के प्रमुख मीडिया संस्थानों जियो टीवी और समा टीवी ने दावा किया है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आगामी सितंबर में पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद का दौरा कर सकते हैं। इन रिपोर्ट्स के अनुसार, यह दौरा 18 सितंबर को हो सकता है और इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया की कूटनीतिक परिधि में नई दिशा तलाशना होगा। हालांकि, इस खबर की आधिकारिक पुष्टि अब तक न तो अमेरिका की ओर से हुई है और न ही पाकिस्तान सरकार ने इसे औपचारिक रूप से स्वीकारा है।
क्वाड सम्मेलन में शामिल होने भारत आएंगे ट्रंप
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप सितंबर में नई दिल्ली में आयोजित क्वाड शिखर सम्मेलन में शामिल होने आ सकते हैं। इसी सिलसिले में वे भारत यात्रा के दौरान या तो उससे पहले या बाद में पाकिस्तान में संक्षिप्त रूप से रुक सकते हैं। पाकिस्तानी मीडिया इसे “साउथ एशिया रीजनल रीच आउट” के रूप में देख रहा है, जिसमें अमेरिका एक साथ भारत और पाकिस्तान से संवाद स्थापित करने की कोशिश कर सकता है। यह संभावना तब और मजबूत होती है जब ट्रंप प्रशासन के पूर्व कार्यकाल में भारत और पाकिस्तान के संबंधों में कई बार अमेरिका ने मध्यस्थता की पेशकश की थी।
हाल ही में पाक सेना प्रमुख के साथ ट्रंप की लंच मीटिंग
इस संभावित दौरे के पीछे एक और संकेत है, जो ट्रंप और पाकिस्तान की वर्तमान सैन्य व्यवस्था के बीच बढ़ती बातचीत को दिखाता है। बीते महीने ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सैयद आसिम मुनीर को लंच पर आमंत्रित किया था। इस दौरान दोनों के बीच ईरान-इज़रायल तनाव, भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद और क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर गहन चर्चा हुई। ट्रंप ने उस समय कहा था- “पाकिस्तान, ईरान को अमेरिका से बेहतर समझता है।” यह बयान इस ओर इशारा करता है कि अमेरिका क्षेत्रीय मुद्दों पर पाकिस्तान की भूमिका को फिर से अहम मान रहा है, खासकर तब जब ईरान पर अमेरिकी दबाव बढ़ाने की रणनीति बन रही है।
भारत की ओर से सतर्क निगाहें
भारत के लिए यह दौरा कूटनीतिक रूप से विशेष रुचि का विषय होगा। यदि ट्रंप भारत के दौरे के साथ ही पाकिस्तान भी जाते हैं, तो यह दक्षिण एशिया में अमेरिका के “दोहरी कूटनीति” को उजागर करेगा। भारत स्पष्ट रूप से चाहता है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ संबंध बनाते समय आतंकवाद, सीमा-पार हिंसा और सुरक्षा मुद्दों पर पारदर्शिता रखे। फिलहाल इस यात्रा की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन ट्रंप का पाकिस्तान दौरा केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक भू राजनीतिक संदेश बन सकता है। यह दौरा यदि होता है, तो अमेरिका के लिए पाकिस्तान को दोबारा अहम बनाने का प्रयास होगा, और भारत के लिए एक राजनयिक परीक्षण। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रंप इस संभावित यात्रा से दक्षिण एशिया की शक्ति-संतुलन राजनीति में कोई नई लकीर खींचते हैं, या यह केवल एक औपचारिकता बनकर रह जाएगा।





