चीन के वैज्ञानिकों ने दुनिया को हैरान कर दिया है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी मैग्लेव ट्रेन का सफल परीक्षण किया है, जिस पर आप भी यकीन नहीं करेंगे। यह ट्रेन सिर्फ 2 सेकंड में 700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंच जाती है। यह ट्रेन इतनी तेज है कि आंखों से इसे देख पाना भी बेहद मुश्किल है। सोशल मीडिया पर ट्रेन के सफल परीक्षण के वीडियो वायरल हो रहे हैं। इसे नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने टेस्ट किया है। दरअसल, यह टेस्ट गुरुवार को किया गया था।
दरअसल, इस ट्रेन का कुल वजन 1 टन है। इस ट्रेन को 400 मीटर लंबे खास ट्रैक पर चलाकर टेस्ट किया गया है। हालांकि, इसमें ट्रेन की कोई भी बोगी शामिल नहीं है। यह सिर्फ एक खास ट्रैक पर टेस्ट करने के लिए बनाई गई छोटी ट्रेन थी, जिसका मकसद स्पीड की जांच करना था।
अब तक की सबसे तेज सुपरकंडक्टिव इलेक्ट्रिक मैग्लेव ट्रेन
वहीं, टेस्ट के दौरान इस ट्रेन ने कुछ ही पलों में रिकॉर्ड तोड़ स्पीड पकड़ ली और इसे सुरक्षित तरीके से रोका भी गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह अब तक की सबसे तेज सुपरकंडक्टिव इलेक्ट्रिक मैग्लेव ट्रेन है। चीन के इंजीनियरों की टीम पिछले लगभग 10 सालों से इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी। हालांकि, इससे पहले भी इस ट्रेन के टेस्ट किए गए थे। साल 2025 के जनवरी महीने में इस ट्रेन ने 648 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ी थी। अब इसे और बढ़ाकर 700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंचाया गया है, जिसके बाद यह नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया है।
#China sets a world record with superconducting maglev train hitting 700 km/h in just 2 seconds!#technology #railway #train pic.twitter.com/kMVSAAwD36
— Shanghai Daily (@shanghaidaily) December 25, 2025
पहियों और पटरी के बीच कोई संपर्क नहीं होता है
आपको जानकर हैरानी होगी कि यह ट्रेन पटरियों को नहीं छूती है। दरअसल, इसमें लगे ताकतवर मैग्लेव ट्रैक के ऊपर ट्रेन को हवा में रखते हैं और आगे की ओर धक्का देते हैं। पहियों और पटरी के बीच कोई संपर्क नहीं होता है, इसलिए घर्षण नहीं बनता और ट्रेन तेज गति से आगे बढ़ती है। इस टेस्ट का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि ट्रेन बिजली की रफ्तार से आगे बढ़ रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस ताकत से यह ट्रेन आगे बढ़ती है, इस तकनीक का इस्तेमाल भविष्य में रॉकेट लॉन्च करने के लिए भी किया जा सकता है। अगर इस तकनीक का इस्तेमाल बड़े-बड़े शहरों के बीच एक पैसेंजर ट्रेन के तौर पर किया जाए, तो घंटों का सफर कुछ ही मिनटों में पूरा किया जा सकेगा।





