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Sat, Dec 20, 2025

PM मोदी की UK और मालदीव यात्रा, व्यापार, कूटनीति और रणनीतिक साझेदारी को नया बल

Written by:Vijay Choudhary
Published:
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का पहला चरण 23-24 जुलाई को यूनाइटेड किंगडम में होगा, जहां भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर की संभावना है।
PM मोदी की UK और मालदीव यात्रा, व्यापार, कूटनीति और रणनीतिक साझेदारी को नया बल

पीएम मोदी की विदेश यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 से 26 जुलाई के बीच यूनाइटेड किंगडम और मालदीव की दो देशों की महत्वपूर्ण यात्रा पर जा रहे हैं। इस यात्रा का उद्देश्य भारत के व्यापारिक हितों को मज़बूती देने के साथ-साथ कूटनीतिक संबंधों को भी पुनर्संतुलित करना है। यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब वैश्विक भू-राजनीतिक स्थितियां तेजी से बदल रही हैं और भारत की विदेश नीति लगातार बहुपक्षीय रणनीतियों को साध रही है।

ब्रिटेन के साथ ऐतिहासिक FTA पर हस्ताक्षर की उम्मीद

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का पहला चरण 23-24 जुलाई को यूनाइटेड किंगडम में होगा, जहां भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर की संभावना है। यह समझौता वर्षों से बातचीत में अटका हुआ था, लेकिन अब माना जा रहा है कि इसे अंतिम रूप दे दिया गया है। इस FTA के तहत ब्रिटेन को होने वाले 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात पर टैरिफ रियायतें मिलेंगी। इससे भारत के वस्त्र, फार्मास्युटिकल्स, और आईटी सेवाओं के लिए ब्रिटेन के बाजार खुलेंगे, वहीं ब्रिटिश उत्पाद जैसे व्हिस्की, लक्ज़री कारें और फाइनेंशियल सर्विसेस को भारत में प्रवेश में सुविधा मिलेगी। FTA केवल व्यापारिक लेनदेन नहीं, बल्कि ब्रेग्ज़िट के बाद ब्रिटेन के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदारी है। ब्रिटेन अपनी वैश्विक आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए भारत जैसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

रिश्तों में तनाव के बीच रणनीतिक यात्रा

25-26 जुलाई को पीएम मोदी मालदीव की राजधानी माले की यात्रा करेंगे, जहां वे देश के 60वें राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे। यह यात्रा इसलिए विशेष मानी जा रही है क्योंकि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू के सत्ता में आने के बाद यह मोदी की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी। हाल के महीनों में मालदीव में “इंडिया आउट” अभियान जोर पकड़ चुका था। इसके पीछे कुछ स्थानीय नेताओं और विपक्षी दलों का यह आरोप था कि भारत की सैन्य और रणनीतिक मौजूदगी मालदीव की संप्रभुता को कमजोर कर रही है। वहीं राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू के कार्यकाल की शुरुआत से ही उनका झुकाव चीन की ओर स्पष्ट दिखा है। मोदी की यह यात्रा केवल औपचारिक नहीं बल्कि बेहद रणनीतिक है। यह संदेश देने की कोशिश है कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी भूमिका को कम नहीं करेगा।

चीन की घेराबंदी और समुद्री सुरक्षा पर फोकस

मालदीव, श्रीलंका और सेशेल्स जैसे छोटे द्वीप राष्ट्र भारत के लिए समुद्री सुरक्षा, नेविगेशन और व्यापार मार्गों की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। चीन की “String of Pearls” रणनीति के जवाब में भारत अपनी “Security and Growth for All in the Region (SAGAR)” नीति के तहत सक्रिय है। इस यात्रा के दौरान रक्षा सहयोग, समुद्री निगरानी, इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं और मानव संसाधन विकास पर समझौते हो सकते हैं।

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय संकेत

इस यात्रा के बहुस्तरीय संदेश होंगे। देश के भीतर यह दिखाने की कोशिश कि भारत की विदेश नीति केवल एक ध्रुवीय नहीं है, बल्कि व्यापार, सुरक्षा और सांस्कृतिक मूल्यों का संतुलन है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत यह दिखाना चाहता है कि वह चीन को कूटनीतिक स्तर पर टक्कर दे सकता है और वैश्विक दक्षिण का नेतृत्व कर सकता है। मोदी की यात्रा ब्रिटेन के साथ बढ़ते रक्षा और टेक्नोलॉजी सहयोग का भी संकेत होगी, जिसमें एआई, साइबर सुरक्षा और हरित ऊर्जा पर संभावित साझेदारी चर्चा में होगी।

कूटनीति का निर्णायक चरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस दोहरी यात्रा को भारत की समकालीन कूटनीति का निर्णायक चरण माना जा रहा है। यह दौरा न केवल दो देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने का अवसर है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की सक्रिय भूमिका को और अधिक स्पष्ट करने का अवसर भी है। भारत का यह संदेश स्पष्ट है। “विकास, सुरक्षा और साझेदारी” भारत की विदेश नीति की आधारशिला हैं, और इन मूल्यों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।