उत्तर प्रदेश में आवारा कुत्तों की दहशत रोकने के लिए योगी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ अब ज़मीन पर सख्ती से लागू होती दिख रही है। कानपुर नगर निगम ने देश में पहली बार आवारा खूंखार हमलावर कुत्तों के लिए ‘उम्र कैद’ की व्यवस्था लागू की है। इसके तहत दो या उससे अधिक बार नागरिकों को काटने वाले कुत्तों को एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) सेंटर में स्थायी रूप से रखा जा रहा है।
नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, कानपुर में इस नीति को सबसे सख्ती से लागू किया जा रहा है, ताकि शहर में डॉग बाइट की घटनाओं से फैली दहशत को कम किया जा सके। ABC सेंटर में रखे गए कुत्तों के लिए भोजन, इलाज और देखभाल की समुचित व्यवस्था की गई है।
कानपुर में हमलावर कुत्तों को लेकर नगर निगम के सख्त नियम
देश में ऐसा पहली बार हो रहा है कि कुत्तों को ‘आजीवन कारावास’ की सजा दी जा रही है। इनमें वो हमलावर कुत्ते शामिल हैं जो दो या उससे अधिक बार लोगों पर हमला कर चुके हैं या उन्हें काट चुके हैं। कानपुर नगर निगम ने कुत्तों की दहशत से लोगों को मुक्त करने के लिए ये कदम उठाया है। इसके तहत, पहली बार किसी को काटने वाले कुत्ते को 10 दिनों के लिए ABC सेंटर में निगरानी में रखा जाता है। इस दौरान उसका स्टेरलाइजेशन, एंटी-रैबीज वैक्सीनेशन और माइक्रोचिपिंग की जाती है। साथ ही उसके व्यवहार की निगरानी और वीडियो रिकॉर्डिंग भी रखी जाती है। तय अवधि के बाद ऐसे कुत्ते को उसी इलाके में वापस छोड़ा जाता है।
खूंखार कुत्तों को दी जा रही ‘उम्र कैद’
वहीं, दो या उससे अधिक बार काटने वाले कुत्तों को आजीवन ABC सेंटर में रखने का प्रावधान कर दिया गया है। लोगों ने इसे अब कुत्तों की ‘उम्र कैद’ का नाम दिया है। अब तक शहर में दो या उससे अधिक बार नागरिकों को काटने वाले 5 कुत्तों को एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर में स्थायी रूप से रखा गया है।ABC सेंटर में इन कुत्तों के लिए उचित भोजन, इलाज और देखभाल की व्यवस्था है। यदि कोई व्यक्ति ऐसे कुत्ते को गोद लेना चाहता है, तो उसे शपथ-पत्र देना होगा कि वह कुत्ते को जीवनभर अपने पास रखेगा, दोबारा सड़क पर नहीं छोड़ेगा। वहीं, माइक्रोचिप के जरिए उसकी निगरानी जारी रहेगी। नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि यह कदम सार्वजनिक सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए पशु कल्याण का भी ध्यान रखता है। नागरिकों से अपील की गई है कि कुत्तों को उकसाएं नहीं, हमले की स्थिति में तुरंत सरकारी अस्पताल में एंटी-रैबीज टीका लगवाएं और नगर निगम में शिकायत दर्ज कराएं।





