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Thu, Dec 18, 2025

नवरात्रि 2021 : यहां 1000 फिट ऊंची पहाड़ी पर विराजी मां बिजासन सुनती हैं हर भक्त की पुकार

Written by:Lalita Ahirwar
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नवरात्रि 2021 : यहां 1000 फिट ऊंची पहाड़ी पर विराजी मां बिजासन सुनती हैं हर भक्त की पुकार

सीहोर, अनुराग शर्मा। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीहोर जिले (Sehore district) के ग्राम सलकनपुर (Salkanpur) में स्थित मां बिजासन धाम प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जो की राजधानी भोपाल से 75 किलोमीटर की दूरी पर 1000 फीट ऊंची पहाड़ी पर है। इसे लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है कहा जाता है और यहां कि मान्यता है कि यह स्वयंभू स्थान है, जहां माता बिजासन स्वयं प्रकट हुई थी। यह मां दुर्गा का अवतार है।

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ऐसी मान्यता है मां दुर्गा ने रक्तबीज का वध करने के बाद विजय आसन के लिये यहां पर विराजमान हुई थीं। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां जाने के लिए 1400 सीढ़ी हैं जहां दूर-दूर से लोग पदयात्रा करके पहुंचते हैं और मंदिर पर माथा टेकते हैं। यहां सड़क मार्ग भी है जहां टू व्हीलर और फोर व्हीलर से जाया जा सकता है। साढ़े 4 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। यहां पर रोप वे कि सुविधा भी है जिससे 5 मिनट में मां बिजासन मंदिर पहुंचा जा सकता है।

प्राचीन कथा के अनुसार मां दुर्गा ने जब रक्तबीज का वध किया तब मां बिजासन को विजय स्वरूप यह आसन मिला और वे विंध्याचल पर्वत श्रेणी पर मां बिजासन के नाम से यहां विराजमान हुईं। यहां श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होने पर वे सैकड़ों किलोमीटर दूरी से मान्यता के अनुसार पैदल यात्रा और या लेटकर मां के मंदिर जाते हैं। हर वर्ष शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि में यहां पर लाखों भक्त प्रतिदिन माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इसी के साथ यहां प्रशासन की पूरी व्यवस्था भी होती है। माता के महीने में यहां पर पशु मेला लगता है। कहा जाता है मुगल शासक के समय से यहां पर पशु मेला लगाया जा रहा है, जहां पशुओं की खरीद-फरोख्त की जाती है। पहले यह मेला जनपद पंचायत द्वारा लगाया जाता था। बता दें, सलकनपुर से 15 किलोमीटर पर नर्मदा तट आंवली घाट है, जो नर्मदा तीर्थ का महत्वपूर्ण स्नान घाट कहा जाता है। यहां श्रद्धालु पहले नर्मदा स्नान करने पहुंचते हैं फिर मां बिजासन के दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं।

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माता के मंदिर में मंदिर के पीछे उल्टे हाथ लगाने की भी परंपरा है। मान्यता के अनुसार श्रद्धालु माता के मंदिर में उल्टे हाथ से लगाकर जाते हैं और मन्नत पूरी होने पर आकर सीधे हाथ लगाते हैं और माता की पूजा-अर्चना करते हैं। आसपास के सभी जिले शाजापुर देवास इंदौर होशंगाबाद हरदा तक के लोग यहां पर पदयात्रा करके पहुंचते हैं। यह स्थान लोगों की धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है।