Sun, Dec 28, 2025

संरक्षण के अभाव में अस्तित्व खो रही है The Great Wall Of India, चीन की दीवार को देती है टक्कर

Written by:Diksha Bhanupriy
Published:
संरक्षण के अभाव में अस्तित्व खो रही है The Great Wall Of India, चीन की दीवार को देती है टक्कर

रायसेन, डेस्क रिपोर्ट। विश्व में सबसे लंबी दीवार चीन में है उसी तरह की दीवार भारत में भी है। इस दीवार को अब तक भारत की सबसे बड़ी दीवार माना जाता है। यह दीवार मध्य प्रदेश (MP) के रायसेन (Raisen) में स्थित है। 90 किलोमीटर लंबी यह दीवार 15 से 18 फीट ऊंची और 10 से 24 फीट तक चौड़ी है। बताया जाता है कि इसे परमार काल में तैयार किया गया था। दीवार को द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया (The Great Wall Of India) के नाम से जाना जाता है। लेकिन भारत की ये पहचान संरक्षण के अभाव में अब अपना अस्तित्व खोती दिखाई दे रही है।

परमार वंश के राजाओं ने 10वीं 11वीं शताब्दी में कलचुरी शासकों के हमले से बचने के लिए इंटरलॉकिंग सिस्टम से तैयार की गई यह दीवार बनवाई थी। केंद्र और राज्य सरकार से अब तक कई प्रतिनिधिमंडल इसे देखने पहुंच चुके हैं और इसके महत्व को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कर चुके हैं। इन सबके बावजूद भी इस दीवार के संरक्षण और पर्यटन विस्तार के लिए कोई ठोस पहल नहीं की गई है। दिन पर दिन दीवार क्षतिग्रस्त होती जा रही है।

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उदयपुरा के देवरी कस्बे के पास स्थित गोरखपुर गांव के जंगल से यह दीवार शुरू होती है और चौकीगढ़ किले तक जाती है। ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया 15 फीट ऊंची और 24 फीट तक चौड़ी है इसे बनाने में बलुआ पत्थरों की चट्टानों का इस्तेमाल किया गया है। दीवार की दोनों तरफ बड़े-बड़े चौकोर पत्थर लगाए गए हैं। इसके आसपास जमीन में दबे हुए कई मंदिरों के अवशेष भी मिले हैं।

दीवार के संरक्षण का मुद्दा उठाने वाले स्थानीय निवासियों का कहना है कि परमारकालीन शताब्दी में बनी ये दीवार सीमा सुरक्षा के लिए तैयार की गई थी। इसकी सुरक्षा के लिए कमिश्नर की ओर से 9 करोड़ का प्रोजेक्ट भी तैयार किया गया था। उसके बाद भी दीवार जगह-जगह से जीर्ण शीर्ण हो रही है।

मामले में रायसेन के डीएम अरविंद कुमार दुबे का कहना है कि हम दीवार के संरक्षण के लिए राज्य शासन को पत्र लिखेंगे और जब तक वहां से कोई कार्यवाही नहीं होती है तब तक पंचायत स्तर पर इसके संरक्षण की कोशिश की जाएगी। बता दें कि रायसेन में ऐसी कई पौराणिक धरोहर हैं जिन्हें संरक्षण की बहुत जरूरत है। अब इन धरोहरों का संरक्षण होता है या फिर देखरेख के अभाव में यह अपना अस्तित्व खो देंगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।