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Sat, Dec 20, 2025

ठाकरे भाइयों की करारी हार, देवेंद्र फडणवीस बोले, ‘मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया’

Written by:Neha Sharma
Published:
मुंबई में हुए बेस्ट पतपेढी चुनाव में ठाकरे परिवार को बड़ा झटका लगा है। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने पहली बार मिलकर पैनल उतारा था, लेकिन उनके किसी भी उम्मीदवार को जीत नहीं मिली।
ठाकरे भाइयों की करारी हार, देवेंद्र फडणवीस बोले, ‘मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया’

मुंबई में हुए बेस्ट पतपेढी चुनाव में ठाकरे परिवार को बड़ा झटका लगा है। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने पहली बार मिलकर पैनल उतारा था, लेकिन उनके किसी भी उम्मीदवार को जीत नहीं मिली। इसके उलट भाजपा समर्थित कामगार नेता शशांक राव के पैनल ने 14 और विधायक प्रसाद लाड के पैनल ने 7 सीटों पर जीत हासिल की। इस तरह बेस्ट पतपेढी पर भाजपा का दबदबा कायम हो गया। उल्लेखनीय है कि पिछले कई वर्षों से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना का इस चुनाव पर दबदबा रहा था, लेकिन इस बार दोनों ठाकरे भाइयों की करारी हार हुई है।

देवेंद्र फडणवीस का बड़ा बयान

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ठाकरे भाइयों की हार पर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी। पुणे में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि इस तरह के चुनाव का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए था। यह पतपेढी का चुनाव था, लेकिन ठाकरे भाइयों ने इसे राजनीति से जोड़ने की कोशिश की। भाजपा ने इसका राजनीतिकरण नहीं किया। हमारे ही शशांक राव और विधायक प्रसाद लाड मैदान में थे और उन्होंने जीत हासिल की। ठाकरे भाइयों ने ‘ब्रांड ठाकरे’ के नाम पर प्रचार किया, लेकिन मतदाताओं को यह रास नहीं आया। नतीजतन, उन्हें एक भी सीट नहीं मिली। एक तरह से मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया है। लेकिन मैं फिर कहता हूं कि इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।”

इसके साथ ही देवेंद्र फडणवीस ने मंत्री संजय शिरसाट पर लगाए गए आरोपों पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “रोहित पवार और अन्य लोग रोज आरोप लगाते रहते हैं। लेकिन आरोप सबूत के आधार पर होने चाहिए। बिना सबूत के आरोप करना गलत है। मैंने अभी तक केस को पूरी तरह से देखा नहीं है। अगर आरोपों के लिए पुख्ता सबूत होंगे तो जवाब भी दिया जाएगा।”

मुख्यमंत्री ने इस मौके पर राज्य में बारिश और बाढ़ की स्थिति पर भी जानकारी दी। उन्होंने कहा, “अभी हालात काफी हद तक नियंत्रण में हैं। आपदा प्रबंधन से जुड़ी सभी जरूरी कदम उठाए गए हैं। जहां नदियां खतरे के स्तर से ऊपर गई हैं, वहां पानी का विसर्ग बढ़ाकर और बांधों का प्रबंधन करके स्थिति को संभाला जा रहा है। अलग-अलग राज्यों के साथ भी लगातार चर्चा हो रही है और उनका सहयोग मिल रहा है। अगर जरूरत पड़ी तो उनसे और अधिक विसर्ग बढ़ाने का भी आग्रह किया जाएगा।”