महाराष्ट्र में राज्य फिल्म पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान उस समय हंगामा मच गया जब ‘खालिद का शिवाजी’ फिल्म के विरोध में नारेबाजी हुई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के भाषण के दौरान दो प्रदर्शनकारियों ने फिल्म में इतिहास के कथित विकृति पर आपत्ति जताते हुए जोरदार नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि इस फिल्म में इतिहास को तोड़-मरोड़कर दिखाया गया है, और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। इस पर मुख्यमंत्री फडणवीस ने भाषण रोकते हुए प्रदर्शनकारियों की बात सुनी और कार्यक्रम को बाधित न करने की अपील की।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने की शांति की अपील
फडणवीस ने प्रदर्शनकारियों से कहा, “आपकी बात सुन ली गई है, अब कार्यक्रम को खराब न करें।” यह कहकर उन्होंने माहौल को शांत किया और कार्यक्रम आगे बढ़ा। मुख्यमंत्री के संयमित रुख से विवाद और बढ़ने से टल गया। खास बात यह रही कि प्रदर्शन के दौरान फडणवीस ने खुद हस्तक्षेप कर प्रदर्शनकारियों को शांत रहने की अपील की और समारोह को सामान्य रूप से संपन्न होने दिया।
पुलिस ने नारेबाजी करने वाले दोनों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया है। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद जब पुलिस उन्हें ले जा रही थी, तब उन्होंने मीडिया से कहा, “मुख्यमंत्री ने हमारी बात सुनी है। अब हमें उम्मीद है कि वे इस पर उचित कार्रवाई करेंगे।” प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि फिल्म में दिखाया गया है कि रायगढ़ किले पर मस्जिद थी, जबकि ऐसा नहीं है। साथ ही, फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि शिवाजी महाराज की सेना में 35% मुस्लिम सैनिक थे, जिसे वे ऐतिहासिक रूप से गलत मानते हैं।
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये दोनों प्रदर्शनकारी किसी संगठन से जुड़े थे या नहीं। वे एक बैनर और कुछ पोस्टर लेकर आए थे, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह विरोध योजनाबद्ध था। पुलिस इस दिशा में जांच कर रही है कि ये लोग कौन थे और कहां से आए थे। वहीं, फिल्म ‘खालिद का शिवाजी’ में एक मुस्लिम बच्चे की कहानी दिखाई गई है, जो मराठी स्कूल में पढ़ते हुए अपने सवालों के जवाब खोजता है। ट्रेलर में इतिहास के कुछ अंशों को लेकर ही विवाद खड़ा हुआ है।





