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Thu, Dec 18, 2025

एमके स्टालिन के बिहार दौरे पर राजनीतिक विवाद, भाजपा ने चुनौती देते हुए कहा- अगर हिम्मत है तो…

Written by:Mini Pandey
Published:
बीजेपी ने स्टालिन के दौरे को हास्यास्पद करार देते हुए आरोप लगाया कि डीएमके ने बिहारियों को अनपढ़ और पानीपुरी बेचने वाला कहकर अपमानित किया है और अब वोट मांगने बिहार जा रहे हैं।
एमके स्टालिन के बिहार दौरे पर राजनीतिक विवाद, भाजपा ने चुनौती देते हुए कहा- अगर हिम्मत है तो…

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बिहार दौरे को लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है, जहां इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी ने स्टालिन पर निशाना साधते हुए उनके और उनकी पार्टी डीएमके के नेताओं द्वारा बिहारियों और सनातन धर्म पर की गई कथित अपमानजनक टिप्पणियों को दोहराने की चुनौती दी है। स्टालिन आज बिहार में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के वोटर अधिकार यात्रा में शामिल होने वाले हैं, जिसका उद्देश्य विपक्ष की ताकत दिखाना और समर्थन जुटाना है।

बीजेपी के तमिलनाडु प्रवक्ता नारायणन तिरुपति ने स्टालिन को ललकारते हुए कहा कि अगर उनमें हिम्मत है तो वे बिहार में अपने बेटे उदयनिधि स्टालिन की सनातन धर्म को नष्ट करना चाहिए’ वाली टिप्पणी और डीएमके सांसद दयानिधि मारन की ‘बिहार के लोग तमिलनाडु में शौचालय साफ करते हैं’ वाली टिप्पणी को दोहराएं। तमिलनाडु बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष के अन्नामलाई ने भी स्टालिन पर तंज कसते हुए कहा कि वे बिहार में इन अशोभनीय टिप्पणियों को दोहराएं।

दौरे को हास्यास्पद बताया 

बीजेपी ने स्टालिन के दौरे को हास्यास्पद करार देते हुए आरोप लगाया कि डीएमके ने बिहारियों को अनपढ़ और पानीपुरी बेचने वाला कहकर अपमानित किया है और अब वोट मांगने बिहार जा रहे हैं। बीजेपी प्रवक्ता ने स्टालिन को बिहारियों से माफी मांगने को कहा। जेडीयू ने भी स्टालिन के दौरे की आलोचना की और उनके सनातन धर्म पर अश्लील टिप्पणियों का हवाला देते हुए सवाल उठाया कि बिहारी जनता ऐसे नेताओं का समर्थन कैसे करेगी।

बिहारियों के खिलाफ टिप्पणी

पिछले साल दयानिधि मारन के एक पुराने वीडियो में बिहारियों के खिलाफ टिप्पणी और उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को डेंगू और मलेरिया से जोड़ने वाले बयान ने बड़ा विवाद खड़ा किया था। उदयनिधि ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना के बावजूद माफी मांगने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उनकी टिप्पणी द्रविड़ विचारक पेरियार के विचारों के अनुरूप थी। यह विवाद केंद्र और तमिलनाडु के बीच तनाव का एक प्रमुख कारण रहा है।