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Tue, Dec 16, 2025

‘भारत के पास एक कमजोर प्रधानमंत्री’, H-1B वीजा पर भारी शुल्क लगाने पर राहुल गांधी ने घेरा

Written by:Mini Pandey
Published:
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि देश आज पीएम मोदी से सवाल पूछ रहा है। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी ने 5 जुलाई 2017 को ट्वीट कर पीएम को आगाह किया था, लेकिन तब भी और आज भी वह कमजोर पीएम हैं।"
‘भारत के पास एक कमजोर प्रधानमंत्री’, H-1B वीजा पर भारी शुल्क लगाने पर राहुल गांधी ने घेरा

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से H1B वीजा पर 1 लाख डॉलर का भारी शुल्क लगाए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। राहुल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी 2017 की पोस्ट का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने उस समय भी पीएम मोदी से इस मुद्दे को ट्रंप के साथ उठाने की बात कही थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। राहुल ने लिखा, “मैं दोहराता हू, भारत का पीएम कमजोर है।”

कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद मनीष तिवारी ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि अमेरिका जानबूझकर भारत के प्रति आक्रामक रवैया अपना रहा है। उन्होंने कहा, “H1B वीजा पर यह कदम कोई संयोग नहीं है। अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के इशारे पर की गई समयपूर्व युद्धविराम की घोषणा, पाकिस्तानी सेना प्रमुख का व्हाइट हाउस में स्वागत, 50% टैरिफ और सऊदी-पाकिस्तानी रक्षा साझेदारी, ये सभी कदम अमेरिका की मौन सहमति के बिना संभव नहीं हैं। यह भारत-अमेरिका संबंधों के लिए अच्छा संकेत नहीं है।”

पीएम मोदी से सवाल पूछ रहा देश

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि देश आज पीएम मोदी से सवाल पूछ रहा है। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी ने 5 जुलाई 2017 को ट्वीट कर पीएम को आगाह किया था, लेकिन तब भी और आज भी वह कमजोर पीएम हैं। इसका नतीजा आज देश के करोड़ों युवाओं को भुगतना पड़ रहा है। ट्रंप रोज हमारा अपमान कर रहे हैं, लेकिन पीएम चुप हैं। अगर पीएम ने संसद में ट्रंप को झूठा कहा होता तो देश उनके साथ खड़ा होता।”

H1B वीजा आवेदन पर 1 लाख डॉलर का शुल्क

डोनाल्ड ट्रंप की नई नीति कुछ गैर-आप्रवासी श्रमिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध के तहत H1B वीजा आवेदनों पर 1 लाख डॉलर का वार्षिक शुल्क लगाया गया है, जो 21 सितंबर से लागू होगा। इसका उद्देश्य H1B प्रोग्राम के दुरुपयोग को रोकना है विशेष रूप से आईटी आउटसोर्सिंग फर्मों पर, जो अमेरिकी श्रमिकों को नुकसान पहुचाने और वेतन को दबाने का आरोप झेल रही हैं। इस नीति से भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के लिए अमेरिका में काम करना महंगा हो सकता है, जिससे भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) को बढ़ावा मिल सकता है।