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Sat, Dec 20, 2025

कांग्रेस ने SIR के दौरान चुनाव आयोग को 89 लाख शिकायतें भेजीं, सभी खारिज हो गईं; पवन खेड़ा का दावा

Written by:Mini Pandey
Published:
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि कांग्रेस के किसी भी अधिकृत बीएलए ने 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची में कोई दावा या आपत्ति दर्ज नहीं की।
कांग्रेस ने SIR के दौरान चुनाव आयोग को 89 लाख शिकायतें भेजीं, सभी खारिज हो गईं; पवन खेड़ा का दावा

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने रविवार को दावा किया कि बिहार में विशेष गहन संशोधन (SIR) के दौरान पार्टी के बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) ने 89 लाख अनियमितताओं की शिकायतें चुनाव आयोग को सौंपीं, लेकिन सभी को खारिज कर दिया गया। खेड़ा ने आरोप लगाया कि इन अनियमितताओं से चुनाव आयोग की नीयत पर सवाल उठता है और पूरे संशोधन प्रक्रिया को फिर से कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि 65 लाख मतदाताओं के नाम बिहार की मतदाता सूची से हटाए गए, जिनमें से 25 लाख प्रवास के कारण और 22 लाख मृत्यु के कारण हटाए गए।

खेड़ा ने दावा किया कि 90,540 बूथों में से 20,368 बूथों पर 100 से अधिक और 1,988 बूथों पर 200 से अधिक नाम हटाए गए। उन्होंने यह भी बताया कि 7,613 बूथों पर 70 प्रतिशत से अधिक हटाए गए नाम महिलाओं के थे और 635 बूथों पर 75 प्रतिशत से अधिक हटाए गए नाम प्रवासी श्रेणी में महिलाओं के थे। खेड़ा ने दोहरे मतदाता पहचान पत्र के मामलों का भी जिक्र किया और मांग की कि इन आंकड़ों की दोबारा जांच और घर-घर सत्यापन किया जाए।

आरोपों का खंडन 

बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि कांग्रेस के किसी भी अधिकृत बीएलए ने 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची में कोई दावा या आपत्ति दर्ज नहीं की। कार्यालय ने स्पष्ट किया कि मसौदा सूची सार्वजनिक जांच के लिए है और इसमें कथित दोहरे मतदाताओं की पहचान सत्यापन के बाद ही हटाई जाती है। उन्होंने कहा कि केवल नाम, रिश्तेदारों और उम्र के आधार पर दोहरे मतदाता होने का दावा सही नहीं है, क्योंकि बिहार में एक जैसे नाम और उम्र वाले लोग आम हैं।

दोहरे नामों को किया चिह्नित

चुनाव आयोग ने कहा कि उनकी डिडुप्लिकेशन प्रणाली, ईआरओनेट 2.0, संभावित दोहरे नामों को चिह्नित करती है, जिनका बूथ लेवल अधिकारियों और निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों द्वारा सत्यापन किया जाता है। आयोग ने जोर देकर कहा कि मसौदा सूची में कुछ अस्थायी दोहरे नाम होने से एसआईआर प्रक्रिया अमान्य नहीं होती। कांग्रेस ने इस मामले में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग की है, ताकि मतदाता सूची में कोई गलती न रहे।