नई दिल्ली के भारत मंडपम में ट्रेडिशनल मेडिसिन पर दूसरे WHO ग्लोबल समिट के समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस, भारत के स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा एवं अन्य दिग्गज हस्तियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान पीएम मोदी और डॉ टेड्रोस ने दिल्ली में नए WHO-साउथ ईस्ट एशियन रीजनल ऑफिस कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया।
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2021-2025 के लिए योग के प्रमोशन और डेवलपमेंट में शानदार योगदान के लिए प्रधानमंत्री अवॉर्ड पाने वालों को सम्मानित किया। यह सम्मान योग और इसके ग्लोबल प्रमोशन के लिए उनके लगातार समर्पण को मान्यता देते हुए दिया गया।
पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम में कई अहम आयुष पहल शुरू कीं, जिसमें आयुष सेक्टर के लिए एक मास्टर डिजिटल पोर्टल, माई आयुष इंटीग्रेटेड सर्विसेज पोर्टल (MAISP) और आयुष मार्क शामिल हैं, जिसे आयुष प्रोडक्ट्स और सर्विसेज़ की क्वालिटी के लिए एक ग्लोबल बेंचमार्क के तौर पर देखा जा रहा है।
पीएम मोदी ने WHO ग्लोबल समिट के समापन समारोह को किया संबोधित
प्रधानमंत्री ने WHO ग्लोबल समिट के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले तीन दिनों में, ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में दुनिया भर के एक्सपर्ट्स ने यहां सार्थक चर्चा की है। मुझे खुशी है कि भारत इसके लिए एक मजबूत प्लेटफॉर्म दे रहा है और WHO ने भी इसमें सक्रिय भूमिका निभाई है। यह हमारी खुशकिस्मती और भारत के लिए गर्व की बात है कि भारत के जामनगर में WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन बनाया गया है। दुनिया ने पहले ट्रेडिशनल मेडिसिन समिट में बड़े भरोसे के साथ हमें यह जिम्मेदारी सौंपी थी।
पीएम मोदी ने कहा कि इस समिट की सफलता दुनिया भर के नजरिए से बहुत जरूरी है। पारंपरिक दवाइयों के सिस्टम में योग भी शामिल है। योग ने पूरी दुनिया को सेहत, संतुलन और तालमेल का रास्ता दिखाया है। भारत की कोशिशों और 175 से ज्यादा देशों के समर्थन की वजह से यूनाइटेड नेशंस ने 21 जून को इंटरनेशनल योग डे घोषित किया। मैं हर उस इंसान की तारीफ करता हूं जिसने योग को बढ़ावा देने और उसे आगे बढ़ाने में अहम योगदान दिया है।
एक अहम मोड़ पर पारंपरिक दवा- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पारंपरिक दवा एक अहम मोड़ पर है। दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्सा लंबे समय से इस पर निर्भर रहा है। लेकिन इसके बावजूद पारंपरिक दवा को वह पहचान नहीं मिली है जिसकी वह हकदार है। इसलिए, हमें इस दिशा में भरोसा जीतने की जरूरत है। पारंपरिक दवा पर WHO ग्लोबल समिट में मिलकर किए गए प्रयासों से पता चला है कि दुनिया इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए तैयार है।
Speaking during the closing ceremony of Second WHO Global Summit on Traditional Medicine.@WHO https://t.co/ysO8TKiWJ8
— Narendra Modi (@narendramodi) December 19, 2025
पारंपरिक ज्ञान और मॉडर्न साइंस एक-दूसरे से अलग नहीं- WHO के महानिदेशक
WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस ने कहा कि आयुष के लिए एक खास मंत्रालय बनाने से लेकर जामनगर में WHO ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर बनाने तक, भारत ने दिखाया है कि परंपरा और इनोवेशन, विरासत और साइंस एक साथ आगे बढ़ सकते हैं। अपने सदियों पुराने आयुष सिस्टम के जरिए, भारत ने दुनिया को दिखाया है कि पारंपरिक ज्ञान और मॉडर्न साइंस एक-दूसरे से अलग नहीं हैं, बल्कि एक-दूसरे को पूरा करते हैं। आपने मिलकर दिखाया है कि पारंपरिक दवा पुरानी चीज नहीं है। यह किनारे पर पड़ा कोई विकल्प नहीं है। यह एक जीता-जागता साइंस है, एक साझा विरासत है, और यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज, मजबूत हेल्थ सिस्टम और सस्टेनेबल डेवलपमेंट का एक जरूरी हिस्सा है।





