दिल्ली की सरकार ने लोक निर्माण विभाग (PWD) में एक अलग इंजीनियरिंग कैडर बनाने का ऐतिहासिक फैसला लिया है, जिससे न सिर्फ पारदर्शिता और जवाबदेही में इजाफा होगा, बल्कि नया इंफ्रास्ट्रक्चर तेजी से विकसित करने में मदद भी मिलेगी। दिल्ली सरकार ने कैबिनेट बैठक में PWD के लिए अपना निजी इंजीनियरिंग कैडर बनाने का मंजूरी दी है। अब तक दिल्ली PWD में काम करने वाले सभी इंजीनियर, CPWD (सेंट्रल PWD) से तैनात होते थे.
अक्सर सभी इंजीनियरों का 3–4 साल में तबादला कर दिए जाता था, जिससे काम रुकता और जिम्मेदारी तय करना मुश्किल हो जाता था। लेकिन, नई व्यवस्था में, दिल्ली अपनी मनमाफ़िक इंजीनियरों को भरती, प्रशिक्षण और पदोन्नति कर सकेगी। जवाबदेही और काम की गति बढ़ेगी। अब CPWD के अधिकारियों को भी विकल्प मिलेगा—या तो वे वापस जा सकते हैं, या नए कैडर में शामिल हो सकते हैं।
इस कदम का महत्व क्या है?
अब हर योजनाबद्ध निर्माण कार्य में तेजी आएगी, क्योंकि जिम्मेदार इंजीनियर स्थानीय प्रशासन को जवाबदेह होंगे। अब प्रोजेक्ट बीच में बीच में नहीं रुकेंगे, और पूरा सिस्टम प्रतिबद्धता से काम करेगा। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में जल्द से जल्द सचिवालय, मण्डी, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स़ जैसी आधुनिक संरचनाएं बनेंगी—और वो तभी संभव है जब PWD की शक्ति और नियंत्रण दिल्ली सरकार को पूरी तरह मिले।
शहरी प्रशासन में सुधार
पहले छह महीनों में CPWD के अधिकारी नए कैडर में आ सकते हैं, और आगे जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त भर्ती की जाएगी। यह निर्णय सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि शहरी प्रशासन में एक बड़ा सुधार है—जिससे दिल्ली सरकार खुद सूत्रधार बनेगी। अब जब काम धीमे नहीं रुकेंगे और जिम्मेदारी निर्धारित लोगों तक सीमित रहेगी, तब ही “विकसित दिल्ली” का सपना सच हो पाएगा।





