दिल्ली की सिविल लाइंस स्थित बेला रोड इस वक्त झील में तब्दील हो चुकी है। चार से पांच फीट तक भरे गंदे पानी ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है। सड़कें डूबी हैं, बिजली कट चुकी है, इंटरनेट बंद है और घरों में पानी घुसने से हालात बिगड़ गए हैं। नाव के जरिए बुजुर्गों को सुरक्षित जगहों पर ले जाना पड़ा तो बच्चों की परीक्षाएं भी प्रभावित हो रही हैं। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि यह हालात बिल्कुल वैसे ही हैं जैसे 2023 में बने थे, जब यह इलाका कई दिनों तक पानी में डूबा रहा। सवाल उठ रहा है कि आखिर हर साल यही संकट क्यों लौट आता है और स्थायी समाधान कब होगा।
बेला रोड पर लगातार दूसरे दिन भारी जलभराव की वजह से लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। दुकानों के सामने गंदा पानी भरा है और इसमें गुजरना बेहद जोखिम भरा हो गया है। बिजली और इंटरनेट बंद होने से लोगों का सब्र टूट रहा है।
परिवारों को छोड़ना पड़ा घर
स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर की प्रोफेसर अर्पिता दयाल ने बताया कि सड़क पर पानी का स्तर 5 से 6 फीट तक पहुंच गया है। दो दिन से बिजली नहीं है, इनवर्टर भी जवाब दे चुके हैं। मजबूरी में उनका परिवार रिश्तेदारों के घर शरण लेने चला गया।
नाव से बुजुर्गों की निकासी
हालात इतने खराब हो गए कि बुजुर्गों को नाव के जरिए सुरक्षित स्थानों पर ले जाना पड़ा। बच्चों की परीक्षाएं प्रभावित हो रही हैं और कई परिवार पानी से घिरे अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं।
बिजली काटना पड़ा मजबूरी
ट्रांसफॉर्मर डूब जाने की वजह से जामुना रोड पर बिजली काटनी पड़ी। टाटा पावर-डीडीएल ने कहा कि यह कदम हादसों से बचाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया। आपदा प्रबंधन टीम के साथ मिलकर हालात सामान्य करने की कोशिश हो रही है।
कारोबार पर भी असर
बेला रोड पर चाय की दुकान चलाने वाले एक दुकानदार ने बताया कि पानी दुकान तक पहुंच गया, लेकिन अंदर नहीं घुसा। उन्हें डर था कि कारोबार पूरी तरह चौपट हो जाएगा, हालांकि अब पानी थोड़ा घटने से राहत की उम्मीद जगी है।
लोगों की मांग – स्थायी समाधान
पीढ़ियों से इस इलाके में रह रहे लोगों ने प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग की है। उनका कहना है कि हर साल दोहराने वाली यह स्थिति अब असहनीय हो चुकी है और पुख्ता इंतजाम जरूरी हैं।
दिल्ली की सिविल लाइंस स्थित बेला रोड पर 4-6 फीट तक जलभराव से लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बिजली और इंटरनेट बंद हैं, कई परिवारों को घर छोड़ना पड़ा। बुजुर्ग नाव से निकाले गए। लोग प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं, जबकि बिजली कंपनी ने सुरक्षा कारण बताए।





