तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने बिहार में विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया के तहत 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने के लिए भारत के चुनाव आयोग की कड़ी आलोचना की है। डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अध्यक्षता में हुई जिला सचिवों की बैठक में, पार्टी ने इस कदम को लोकतंत्र विरोधी करार देते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। इसे स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनावों को कमजोर करने का प्रयास बताया। पार्टी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर चुनावी धोखाधड़ी में शामिल है और मतदाता सूची तैयार करने में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहा है।
डीएमके ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बावजूद, जिसमें बिना उचित प्रक्रिया के सामूहिक नाम हटाने से मना किया गया था, चुनाव आयोग ने बिहार में 65 लाख मतदाताओं को हटा दिया। पार्टी ने इसे चुनावी मैदान को असमान करने का प्रयास बताया। इसके अलावा, डीएमके ने आरोप लगाया कि मुख्य न्यायाधीश को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया से हटाए जाने के बाद चुनाव आयोग का रवैया राजनीतिक हो गया है, जो लोकतंत्र का मजाक उड़ाने जैसा है।
मुख्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात
17 जुलाई को डीएमके के पांच सांसदों ने मुख्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें मतदाता सूची सत्यापन और चुनावी प्रक्रिया में सुधार की मांग की गई। इनमें केवल मृत मतदाताओं के नाम हटाने, बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) के साथ बेहतर समन्वय, क्षेत्रीय भाषाओं में मतदाता सूची मैनुअल जारी करने, डाक मतपत्रों की गिनती में स्पष्टता और आधार व राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को निवास और उम्र के प्रमाण के रूप में स्वीकार करने की मांग शामिल थी। डीएमके ने आयोग से तमिलनाडु और अन्य राज्यों में चुनाव प्रक्रिया शुरू करने से पहले मतदाता सूची को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से सत्यापित करने का आग्रह किया।
आयोग पर अनियमितताओं का आरोप
इस बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर अनियमितताओं का आरोप लगाया, जिसके जवाब में आयोग ने उनसे शपथ के तहत शिकायत दर्ज करने को कहा जिसे राहुल ने ठुकरा दिया। कांग्रेस ने आयोग पर अदालत की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया, जबकि बीजेपी ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि आयोग स्वतंत्र रूप से अपनी निष्पक्षता सुनिश्चित करता है। दूसरी ओर, डीएमके ने अपनी ऊरनियिल तमिलनाडु सदस्यता अभियान की सफलता का जश्न मनाया, जिसके बारे में स्टालिन ने कहा कि यह अभियान हर घर तक पहुंचा और विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ स्पष्ट संदेश देता है।





