गणतंत्र दिवस 2026 इस बार बहुत खास होने वाला है। इस दिन भारत के लिए एक अच्छी खबर आने वाली है। मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में फिर से चीतों की आवाज सुनाई देगी। 26 जनवरी 2026 को बोत्सवाना देश से 8 नए चीते भारत लाए जाएंगे। इससे कूनो दुनिया के बड़े चीता संरक्षण केंद्रों में शामिल हो जाएगा।
कूनो नेशनल पार्क पहले से ही भारत में चीतों को बसाने का सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है। अब जब मादा चीते अपने छोटे बच्चों के साथ आएंगी, तो यह योजना और मजबूत हो जाएगी। यह कदम न सिर्फ जानवरों की सुरक्षा के लिए जरूरी है, बल्कि भारत की प्रकृति के लिए भी बहुत फायदेमंद माना जा रहा है।
कूनो नेशनल पार्क में फिर बनेगा इतिहास
मध्यप्रदेश का कूनो नेशनल पार्क आज पूरे देश में चीतों के लिए जाना जाता है। 26 जनवरी 2026 को यहां बोत्सवाना से 8 नए चीते आएंगे। इनमें 2 बड़ी मादा चीते और उनके 6 छोटे बच्चे होंगे। यह पहली बार होगा जब भारत में चीते अपने बच्चों के साथ लाए जाएंगे। इससे कूनो में चीतों की संख्या बढ़ेगी और वे यहां आसानी से परिवार बढ़ा सकेंगे। जानवरों के जानकार मानते हैं कि इससे भारत में चीतों को हमेशा के लिए बसाने में मदद मिलेगी।
बोत्सवाना से भारत तक चीतों का खास सफर
चीतों को भारत लाने के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। बोत्सवाना की राजधानी गैबोरोन से भारतीय वायुसेना का एक विशेष विमान उड़ान भरेगा। लंबी हवाई यात्रा के बाद यह विमान ग्वालियर एयरबेस पर उतरेगा। ग्वालियर से चीतों को हेलीकॉप्टर से सीधे कूनो नेशनल पार्क ले जाया जाएगा। ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि चीतों को सड़क पर झटके न लगें और वे सुरक्षित और आराम से अपनी नई जगह तक पहुंच सकें।
कूनो पहुंचते ही जंगल में नहीं छोड़े जाएंगे चीते
चीतों को कूनो पहुंचते ही खुले जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा। पहले उन्हें एक बड़े और सुरक्षित बाड़े में रखा जाएगा। यहां वे कुछ समय तक आराम करेंगे और उनकी सेहत की जांच होगी। डॉक्टर यह देखेंगे कि चीते स्वस्थ हैं या नहीं। उन्हें सही खाना दिया जाएगा और उनके व्यवहार पर नजर रखी जाएगी। जब सब कुछ ठीक होगा, तभी चीतों को धीरे-धीरे जंगल में छोड़ा जाएगा।
बोत्सवाना से आई यह खेप क्यों है खास
यह खेप इसलिए खास है क्योंकि पहली बार मादा चीते अपने बच्चों के साथ भारत लाई जा रही हैं। इससे कूनो में चीतों का परिवार बढ़ेगा और वे यहां खुद से बच्चे पैदा कर सकेंगे। जानवरों के विशेषज्ञ कहते हैं कि जब मादा चीते बच्चों के साथ आती हैं, तो वे नई जगह पर जल्दी ढल जाती हैं। इससे चीतों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है।
बोत्सवाना की टीम ने किया कूनो का दौरा
चीतों के आने से पहले बोत्सवाना से एक खास टीम कूनो नेशनल पार्क आई थी। इस टीम में जानवरों के डॉक्टर, सुरक्षा अधिकारी और वैज्ञानिक शामिल थे।
उन्होंने चीतों के लिए बने बाड़ों, इलाज की जगह, सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था को ध्यान से देखा। सब कुछ ठीक पाए जाने के बाद टीम ने चीतों को लाने की अनुमति दे दी।
भारत में चीतों की वापसी कैसे हुई
भारत में चीतों को दोबारा बसाने की शुरुआत 17 सितंबर 2022 को हुई थी। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। इसके बाद फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते आए। समय के साथ कूनो में चीतों की संख्या बढ़ती गई और उन्होंने बच्चों को भी जन्म दिया। आज मध्यप्रदेश में बड़े और छोटे मिलाकर कुल 32 चीते हैं।
कूनो क्यों बना चीतों के लिए सबसे अच्छी जगह
कूनो नेशनल पार्क को इसलिए चुना गया क्योंकि यहां खुला जंगल, घास के मैदान और खाने के लिए जानवर आसानी से मिल जाते हैं। यहां इंसानों की आवाजाही भी कम है। सरकार और वन विभाग मिलकर कूनो की देखभाल कर रहे हैं। चीतों पर नजर रखने के लिए सैटेलाइट कॉलर, ड्रोन और डॉक्टरों की टीम हर समय तैयार रहती है।
चीतों से मध्यप्रदेश को क्या फायदा होगा
चीतों की संख्या बढ़ने से मध्यप्रदेश में घूमने आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ेगी। इससे लोगों को काम मिलेगा और पर्यटन बढ़ेगा। साथ ही, चीते जंगल के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। इससे पूरा जंगल स्वस्थ रहता है और दूसरे जानवरों को भी फायदा होता है।





