गृह मंत्री अमित शाह की रातभर की मेहनत और वैज्ञानिकों की कड़ी जांच के बाद यह पक्का हो गया है कि श्रीनगर के पास ऑपरेशन महादेव में मारे गए तीन आतंकवादी वही थे, जिन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसारन घाटी में 26 निर्दोष लोगों की हत्या की थी। गृह मंत्री ने संसद में इसकी पुष्टि करने से पहले पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहा। वह सोमवार रातभर जागकर चंडीगढ़ फोरेंसिक लैब के वैज्ञानिकों के संपर्क में रहे और हथियारों की जांच की निगरानी की।
सोमवार को जब संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस हो रही थी, उसी समय श्रीनगर के लिदवास में सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने आतंकवादियों के ठिकाने पर हमला किया। इस मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए और उनके पास से असॉल्ट राइफल और ग्रेनेड जैसे हथियार बरामद हुए। सेना को शक था कि ये वही आतंकवादी हैं, जिन्होंने पहलगाम में हमला किया था, लेकिन सरकार बिना पुख्ता सबूत के कोई दावा नहीं करना चाहती थी।
गोलियां चलाकर खाली खोलों की जांच
आतंकवादियों के हथियारों को विशेष विमान से चंडीगढ़ फोरेंसिक लैब भेजा गया। वहां इन हथियारों से गोलियां चलाकर खाली खोलों की जांच की गई और इन्हें पहलगाम हमले के खोलों से मिलाया गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि यह 99 प्रतिशत मेल खाता है। गृह मंत्री शाह ने रातभर वैज्ञानिकों से संपर्क बनाए रखा और अंतिम रिपोर्ट मिलने तक निगरानी की। संसद में उन्होंने कहा कि छह वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि की है कि हथियार पूरी तरह मेल खाते हैं।
तीनों आतंकी पाकिस्तानी नागरिक
पहलगाम हमले के बाद आतंकवादी सुलेमान, अफगान और जिबरान, जो पाकिस्तानी नागरिक थे, तीन महीने तक छिपे रहे। गृह मंत्री के निर्देश पर सुरक्षा बलों ने उनकी वापसी को रोकने के लिए रणनीति बनाई। 8 किलोमीटर के रास्ते पर निगरानी बढ़ाई गई और आतंकवादियों के गुप्त सुरंगों को बाढ़ से नष्ट कर दिया गया। आखिरकार, सुरक्षा बलों ने उन्हें ढूंढ निकाला और ऑपरेशन महादेव में मार गिराया।





