फसल का मौसम जोरों पर है, किसान खेतों में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन खाद की अव्यवस्था के कारण उनकी चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। रतलाम जिले के बाजना और आसपास के इलाकों में यूरिया की कमी ने हालात को और गंभीर बना दिया है। कई किसान 10–12 दिनों से लाइन में खड़े होने के बाद भी खाद नहीं पा रहे। वहीं, दूसरी तरफ प्रशासन ने एक बड़ी कार्रवाई में 100 बोरी अवैध यूरिया जब्त (Illegal Urea Seized) कर तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जिससे यह साफ हो गया है कि खाद की कमी के पीछे काला बाजारी का मजबूत नेटवर्क सक्रिय है।
इसी दौरान प्रशासन की सख्ती और गिरफ्तारी की कार्रवाई ने इलाके में हलचल तेज कर दी है। किसान एक तरफ राहत महसूस कर रहे हैं कि कार्रवाई हुई है, लेकिन दूसरी ओर खाद की कमी के कारण खेतों में काम रुकने की कगार पर है। यह स्थिति बताती है कि बाजना में खाद वितरण व्यवस्था किस कदर चरमराई हुई है और क्यों किसान लगातार नाराज़ होते जा रहे हैं।
बाजना में 100 बोरी अवैध यूरिया पकड़ी
बुधवार देर रात पुलिस और प्रशासन की टीम ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए पिकअप वाहन से 100 बोरी अवैध यूरिया बरामद की। यह यूरिया चोरी-छिपे राजस्थान के बांसवाड़ा में काला बाजारी के लिए ले जाया जा रहा था। थाना प्रभारी मनीष डाबर के मुताबिक रात 10:10 बजे मुखबिर से मिली सूचना पर पिकअप वाहन को बिरसा मुंडा चौराहा पर रोका गया, जांच में खतरनाक खुलासा हुआ 100 बोरी यूरिया बिना किसी वैध दस्तावेज के लदी मिली, चालक की पहचान मुकेश पुत्र तोलिया पारगी के रूप में हुई, यूरिया को बांसवाड़ा निवासी व्यापारी सुरेश अग्रवाल के पास भेजा जा रहा था, यह माल जय गुरुदेव कृषि सेवा केंद्र कांगसी के प्रोप्रायटर भरत खदेड़ा द्वारा अवैध रूप से परिवहन कराया जा रहा था।
पुलिस ने तीनों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम और उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत केस दर्ज किया। चालक मुकेश को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है। वाहन का मालिक शिवगढ़ निवासी अभिजीत सिंह राठौर बताया गया है। सूचना मिलते ही एसडीएम सैलाना तरुण जैन, तहसीलदार मनीष जैन, उर्वरक निरीक्षक यादवेंद्र निनामा कृषि विस्तार अधिकारी अमोल चौधरी मौके पर पहुंचे और जब्ती की कार्रवाई पूरी करवाई।
लाइन में लगने के बाद भी खाली हाथ लौट रहे किसान
यूरिया की कमी बना हुआ खाद संकट अब किसानों की सहनशक्ति की सीमा छूने लगा है। बाजना के नकद खाद विक्रय केंद्र पर किसान सुबह से लाइन में लगते हैं, लेकिन अंत में सिर्फ 40-50 किसानों को ही खाद मिल पाती है। किसानों का कहना है कि फसल बढ़ने का समय निकल रहा है, लेकिन खाद के अभाव में वे खेतों में आवश्यक कार्य नहीं कर पा रहे।





