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Sun, Dec 21, 2025

15 जुलाई को रखा जाएगा सावन का पहला मंगला गौरी व्रत, ऐसे करें पूजा, घर आएगी सुख-शांति!

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
इस दिन व्रत रखने से सुहागिन महिलाओं को सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत पति की लंबी आयु, सुख और समृद्धि के लिए रखा जाता है। मंगला गौरी व्रत अविवाहित लड़कियों के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।
15 जुलाई को रखा जाएगा सावन का पहला मंगला गौरी व्रत, ऐसे करें पूजा, घर आएगी सुख-शांति!

सनातन धर्म में सावन का महीना अत्यंत ही महत्व रखता है, जो कि माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में आने वाले हर सोमवार को बाबा भोलेनाथ की विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं, मंगलवार के दिन माता पार्वती के मंगला गौरी स्वरूप की पूजा का विधान है। इस दिन व्रत रखने से सुहागिन महिलाओं को सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत पति की लंबी आयु, सुख और समृद्धि के लिए रखा जाता है।

मंगला गौरी व्रत अविवाहित लड़कियों के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दौरान वे अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रख सकती हैं।

पहला व्रत

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस साल सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 15 जुलाई को रखा जाएगा, क्योंकि सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगा। ऐसे में आपको कुछ नियम-कानून भी मानने चाहिए, तब भगवान की कृपा दृष्टि सदैव आप पर बनी रहे।

जानें तिथि

बता दें कि पहला मंगला गौरी व्रत 15 जुलाई को है, दूसरा मंगला गौरी व्रत 22 जुलाई को, तीसरा मंगला गौरी व्रत 29 जुलाई को है। वहीं, चौथा और इस साल का आखिरी मंगला गौरी व्रत 5 अगस्त के दिन रखा जाएगा।

व्रत के लाभ

इस व्रत को करने से कई सारे लाभ मिलते हैं। महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा पति की लंबी आयु, सुखी वैवाहिक जीवन और कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होने का वरदान मिलता है। ज्योतिष शास्त्रों की मानें तो जिनकी कुंडली में मंगल दोष होता है, उनके लिए यह व्रत बहुत ही ज्यादा लाभकारी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने स्वयं शिव शंभू को पति के रूप में पाने के लिए व्रत रखा था। तब से ही सभी विवाहित और कुँवारी लड़कियां इस व्रत को रखती हैं, ताकि उन्हें शिव जैसा पति मिल सके और उनकी आयु लंबी हो।

ऐसे करें पूजा

इस दिन सुबह उठकर स्नान कर लें। इसके बाद लाल रंग के कपड़े पहनें। अब पूजा और व्रत का संकल्प लें। फिर लाल कपड़ा बिछाकर माता गौरी और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें। फिर माता गौरी को लाल रंग के वस्त्र, सोलह श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं। इसके अलावा भगवान शिव को आप धतूरा, बेलपत्र, चंदन, गंगाजल, दूध आदि चढ़ा सकती हैं। मंगला गौरी व्रत कथा का पाठ करें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारें। अब उन्हें भोग चढ़ाएं। इस तरह अपनी पूजा को प्रसाद बांटते हुए समाप्त करें।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)