Sun, Dec 28, 2025

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति से उत्तरायण हो जाता है सूर्य, देवताओं का दिन भी कहते हैं, जानिए इसका महत्व

Written by:Atul Saxena
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उत्तरायण काल में ध्यान, योग, साधना, जप और तप करने से व्यक्ति को आत्मज्ञान प्राप्त होता है चूँकि इस समय आध्यात्मिक और सकारात्मक ऊर्जा तीव्र होती है, जो साधक को ईश्वर से जोड़ने में सहायता करती है।
Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति से उत्तरायण हो जाता है सूर्य, देवताओं का दिन भी कहते हैं, जानिए इसका महत्व

Makar Sankranti 2025:Makar Sankranti 2025: पर्वों और त्योहारों के देश भारत में ऋतु परिवर्तन का भी बहुत महत्व है, भारत में सूर्य और चन्द्रमा की चाल उनकी गति के आधार पर भी त्यौहार मनाये जाते हैं, भारतीय संस्कृति में सूर्य और चन्द्रमा की गति का बहुत महत्व है, पंचांग के नियम, तिथियों की गणना भी इसी आधार पर होती है इसी से जुड़ा एक पर्व है मकर संक्रांति जिस दिन भगवन भास्कर यानि सूर्यदेव उत्तरायण हो जाते हैं, सूर्य के उत्तरायण होने को शास्त्रों में शुभ माना गया है इसलिए इस दिन को देवताओं का दिन भी कहा जाता है, आइये जानते हैं सूर्य के उत्तरायण होने का महत्व

सूर्य के उत्तरायण होने का आरंभ मकर संक्रांति से ही होता है और यह छह महीने तक उत्तरायण रहता है। इस दौरान सूर्य दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा की ओर जाता है यानि सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है है। सूर्य का उत्तरायण होना भारती सनातन संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है इसका पौराणिक, अध्यात्मिक, धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है।

ये है पौराणिक दृष्टिकोण

देवताओं का दिन: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य के उत्तरायण होने के दिन को देवताओं का दिन कहा जाता है और दक्षिणायन उनकी रात मानी जाती है। इसलिए उत्तरायण के दौरान किए गए धार्मिक कार्य सीधे देवताओं तक पहुंचते है और उनका आशीर्वाद मिलता है।

भगवान विष्णु की विजय: मकर संक्रांति से उत्तरायण का आरंभ होता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने धरती पर असुरों का नाश किया था।, इसीलिए इसे धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान, दान पुण्य और सूर्य की आराधना का विशेष महत्व है

उत्तरायण का शास्त्रीय दृष्टिकोण

सकारात्मक ऊर्जा और ऋतु परिवर्तन: सूर्य के उत्तरायण होते ही पृथ्वी पर दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। इस दौरान सूर्य की किरणें ज्यादा समय तक पृथ्वी पर होती हैं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार मनुष्य सहित प्रकृति की हर वस्तु पर होता है । इस दौरान शुभ कार्य करना और दान-पुण्य करना श्रेष्ठ लाभकारी माना गया है।

योग ध्यान साधना के लिए उत्तम:  उत्तरायण काल में ध्यान, योग, साधना, जप और तप करने से व्यक्ति को आत्मज्ञान प्राप्त होता है चूँकि इस समय आध्यात्मिक और सकारात्मक ऊर्जा तीव्र होती है, जो साधक को ईश्वर से जोड़ने में सहायता करती है।

ज्योतिष में उत्तरायण का महत्व 

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य के उत्तरायण होने को शुभ माना गया है। उत्तरायण होने ही सूर्य सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है इसीलिए इसे मकर संक्रांति भी कहते हैं। मकर राशि शनि ग्रह की होती है, जो कर्म और न्याय का प्रतीक है। सूर्य और शनि का यह मिलन जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।