अक्सर लोग अपने घर के मंदिर में भक्ति भाव से अलग-अलग देवी-देवताओं की मूर्तियां रख देते हैं। लेकिन वास्तु शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर मूर्ति का अपना ऊर्जा क्षेत्र और स्थान होता है। गलत संयोजन न सिर्फ पूजा का प्रभाव कम करता है बल्कि घर में अशांति और समस्याएं भी ला सकता है।
कहा जाता है कि घर के मंदिर में अगर प्रतिमाएं वास्तु नियमों के विपरीत रखी जाएं तो इसका असर स्वास्थ्य, धन और रिश्तों पर भी पड़ सकता है। खासकर कुछ देवी-देवताओं की मूर्तियां अगर एक साथ रख दी जाएं, तो उनका ऊर्जा संतुलन बिगड़ जाता है और नकारात्मक प्रभाव पैदा होता है।
किन देवी-देवताओं को साथ रखना है गलत
शनि देव और मां काली की प्रतिमा
वास्तु शास्त्र में शनि देव और मां काली दोनों को अलग-अलग स्थान पर पूजने की सलाह दी गई है। दोनों की ऊर्जा बेहद प्रबल और कठोर मानी जाती है। इन्हें एक साथ घर के मंदिर में रखने से परिवार में तनाव और विवाद बढ़ सकते हैं।
गणेश जी और हनुमान जी
गणेश जी विघ्नहर्ता हैं और हनुमान जी संकटमोचक, लेकिन दोनों की पूजा की विधि और ऊर्जा अलग है। वास्तु के अनुसार इन्हें साथ रखने से पूजा का प्रभाव कम हो सकता है। बेहतर है कि दोनों की मूर्तियां अलग-अलग स्थान पर स्थापित हों।
शिव परिवार और राम दरबार
शिव परिवार जैसे की भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और राम दरबार जैसे की श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान जी की प्रतिमाएं अलग-अलग पूजनी चाहिए। इन्हें एक साथ रखने से पूजा में ऊर्जा का असंतुलन होता है, जिससे मानसिक शांति भंग हो सकती है।
Disclaimer- यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है। इनके सत्य और सटीक होने का दावा MP Breaking News नहीं करता।





