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Wed, Dec 17, 2025

कलावा बांधने के होते हैं नियम, पालन करने पर जीवन में आएगी सुख-समृद्धि

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
सनातन धर्म में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान कलावा या रक्षा सूत्र बांधना एक परंपरा है। यह केवल धागा नहीं, बल्कि नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने वाला शक्ति-सूत्र माना जाता है।
कलावा बांधने के होते हैं नियम, पालन करने पर जीवन में आएगी सुख-समृद्धि

सनातन धर्म में कई सारे नियम, कानून बनाए गए हैं, जिसका पालन करना बेहद जरूरी है। अन्यथा, इसके बहुत सारे दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं। हिंदू रीति-रिवाज में पूजा-पाठ करना आम चलन है। इसके बिना कोई भी धार्मिक अनुष्ठान संपूर्ण नहीं माना जाता है। इस दौरान कई सारे कार्य संपन्न किए जाते हैं, इन सभी का अलग-अलग महत्व और खासियत है।

सावन के महीने में रुद्राभिषेक सहित अन्य कई तरह की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा, सतनारायण भगवान की पूजा हो या फिर किसी भी देवी-देवता की आराधना हो, बिना कलावा के अधूरी मानी जाती है।

रक्षा सूत्र

इसे केवल धागा नहीं कहते, बल्कि यह रक्षा सूत्र कहलाता है। इसको बांधने के दौरान पंडित जी द्वारा मंत्रोच्चार भी किया जाता है। ऐसी मान्यता सदियों से चली आ रही है कि रक्षा धागा हाथ में बंधवाने से उसका कभी भी अनिष्ट नहीं हो सकता, जिसे लोग आज भी निभाते हैं। कोई भी पूजा-पाठ हो, कोई भी कार्यक्रम हो, धार्मिक अनुष्ठान में आरती खत्म होने के बाद लोग अपने हाथों पर कलावा जरूर बंधवाते हैं। यह पूजा का एक अहम हिस्सा माना जाता है।

धार्मिक महत्व

इसकी शुरुआत देवासुर संग्राम से मानी गई है, जब इंद्र संघर्ष कर रहे थे। उनकी पत्नी ने असुरों पर विजय पाने की कामना की, और इंद्रदेव के हाथ में रक्षा सूत्र बांधा। जिसका परिणाम भी सकारात्मक ही रहा। उस रक्षा धागा की बदौलत इंद्रदेव को विजय हासिल हुई। केवल इतना ही नहीं, कलावा को बुरी नजर और नकारात्मकता से दूर रखने का भी प्रतीक माना जाता है। इस धागा को बांधने से सभी देवी-देवताओं की कृपा दृष्टि व्यक्ति पर बनी रहती है, जो 24 घंटे हमारी रक्षा करती है।

अवश्य दें दक्षिणा

हालांकि, रक्षा धागा बांधना कोई खेल नहीं होता, बल्कि सनातन धर्म में इससे जुड़े नियम बनाए गए हैं, जिसे हर किसी को पालन करना होता है। इसे बांधने के भी कुछ नियम होते हैं। आपने देखा होगा, जब भी बड़े-बुजुर्ग के अलावा बच्चे भी कलावा बंधवाते हैं, तो वह पंडित जी को दक्षिणा अवश्य प्रदान करते हैं। सनातन धर्म में बनाए गए नियमों के अनुसार, कलावा कभी भी खाली हाथ नहीं बंधवाना चाहिए। यदि हाथ में उस वक्त कुछ नहीं लिया जा सकता, तो कम से कम अक्षत जरूर रख लें, या फिर आप जो पंडित जी को दक्षिणा देने वाले हैं, वह ही अपने हाथ में रख लें और कलावा बांधने के बाद पंडित जी को दे दें। इससे आपके जीवन में सकारात्मकता आएगी, सती देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होंगी।

दिखेगा सकारात्मक परिणाम

नियमों के अनुसार, कलावा बांधते समय सिर पर रुमाल, दुपट्टा या फिर साड़ी जरूर रखना चाहिए। यदि यह सब नहीं है, तो आप अपना दूसरा हाथ सिर पर रख सकते हैं। कुल मिलाकर यह है कि कभी भी बिना कुछ सिर पर रखे कलावा नहीं बांधना चाहिए। कई बार हमने देखा है, लोग रक्षा धागा बहुत ही मोटा और तोड़ने वाला बनवाना पसंद करते हैं, लेकिन इससे उन्हें कोई खास असर नहीं मिलता, बल्कि कलावा को हमेशा तीन, पांच या फिर सात बार ही कलाई पर लपेटना चाहिए, जिससे घर में सुख और समृद्धि आती है।

मिलेगा शुभ लाभ

इसके अलावा, महिलाओं को हमेशा बाएं हाथ में कलावा बंधवाना चाहिए, तो वहीं पुरुषों को हमेशा दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। इससे जीवन में बरकत आती है, साधकों को मनचाहा फल प्राप्त होता है। इन नियमों को तोड़ना बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता, इसलिए कलावा बांधने से पहले इन नियमों का जरूर पालन करें, तभी आपको इसका शुभ फल मिलेगा।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)