Sun, Dec 28, 2025

छोटी दिवाली पर आखिर क्यों जलाया जाता है यम का दीपक? जानें धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
यम दीपक दक्षिण दिशा की ओर जलाकर यमराज की पूजा की जाती है। यह परंपरा अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति, घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाने का प्रतीक मानी जाती है।
छोटी दिवाली पर आखिर क्यों जलाया जाता है यम का दीपक? जानें धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

बहुत ही जल्द हिंदूओं का महत्वपूर्ण त्योहार दिवाली आने वाला है। इस दौरान शहर और हर घर रंग-बिरंगी लाइटों से सज-धजकर तैयार हो जाता है। बाजारों में भी सुबह से लेकर रात तक रौनक देखने को मिलती है। बच्चे से लेकर बड़े तक हर किसी में उत्साह देखने को मिलता है। इस खास पर्व के लिए लोग सफाई करते हैं। नई चीजों की खरीददारी करते हैं। जिसकी शुरूआत धनतेरस से होती है। यह दिन अपने आप में खास महत्व रखता है। इसी के साथ आपने हर साल यम का दिया जलाते हुए देखा होगा, जिसे आमतौर पर रात के समय जलाया जाता है। इसे मनाने की विधि को सभी लोग जानते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर यह क्यों मनाया जाता है। इसका धार्मिक महत्व क्या है।

यदि नहीं, तो आज के आर्टिकल में हम आपको इसके बारे में विस्तारपूर्वक बताने जा रहे हैं। इससे आपको पता चलेगा कि आखिर हर घर में रात के समय यह दिया क्यों जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

इस दिन है यम जलाने का समय

कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाए जाने वाले इस पर्व में खास बात यह है कि यमराज को समर्पित दीपक जलाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल धनतेरस 18 अक्टूबर को शुरू होकर 19 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। ऐसे में यम दीपक को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाएं, क्योंकि दक्षिण दिशा को यमराज की दिशा माना जाता है। ऐसा करने से यमराज प्रसन्न होते हैं, जिससे घर में सुख और समृद्धि आती है।

पुराणों में मिलता है उल्लेख

स्कंद पुराण और पद्म पुराण में उल्लेख मिलता है कि इस दिन दीपक जलाने और यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। एक कथा के अनुसार, राजा हेम के पुत्र का मृत्यु समय निश्चित था, इससे उनकी माता को बहुत अधिक पीड़ा हुई। वह अपने बेटे से अलगाव को सह ना सकी और ज्योतिष से जा मिलीं, तब उनके द्वारा दिखाए गए मार्गदर्शन पर चलकर उन्होंने नरक चतुर्दशी की रात यम दीपक जलाया और यमराज की श्रद्धापूर्वक आराधना की। उनकी कठोर तपस्या और भक्ति देखकर यमराज ने उनके पुत्र को जीवन दान दे दिया। तब से यह परंपरा चलती आ रही है। लोगों का ऐसा मानना है कि इससे परिवार के सदस्यों की आयु लंबी होगी।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

धार्मिक दृष्टि से यह क्रिया व्यक्ति की आत्मा को सही मार्ग दिखाने में सहायक मानी जाती है। वहीं, वैज्ञानिक दृष्टि से दीपक जलाने के कई लाभ हैं। दीपक की लौ से वातावरण में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है और सरसों के तेल से निकलने वाली सुगंध घर व आस-पास के वातावरण को शुद्ध करती है। यम दीपक जलाने से व्यक्ति मानसिक रूप से भी सुकून महसूस करता है। घर में दीपक की रोशनी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।

यम देव को प्रसन्न करने के उपाय

  • नरक चतुर्दशी या धनतेरस की रात घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
  • यमराज के मंदिर में जाकर या घर पर उनकी पूजा करें।
  • तुलसी का पत्ता, लाल वस्त्र, लाल पुष्प और गेरू (चुना) का उपयोग करें।
  • गरीबों, विधवाओं और अनाथों को वस्त्र, भोजन, धातु या धन दान करें।
  • किसी भी पर्व या यम दीपक के दिन घर में बनाए गए भोजन या मिठाई गरीबों और जरूरतमंदों को दें।
  • यम देव के मंत्र या मृत्यु को नियंत्रित करने वाले श्लोकों का जाप करें।
  • गाय का दूध, दूध और जल का मिश्रण दक्षिण दिशा की ओर अर्पित करें।
  • लाल कपड़ा, नारियल, लाल पुष्प और लाल चावल अर्पित करें।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)