Fri, Dec 26, 2025

कब हुई क्रिसमस की शुरुआत? क्या है सांता क्लॉज का इससे कनेक्शन? यहां जानिए

Written by:Rishabh Namdev
Published:
क्रिसमस 2025 का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। दुनिया भर में इस त्योहार की धूम है। रात से ही गिरजाघरों में सेलिब्रेशन शुरू हो गया है। गिरजाघर सज गए हैं और लोग प्रभु यीशु का जन्मदिन मनाने के लिए चर्च पहुंच रहे हैं।
कब हुई क्रिसमस की शुरुआत? क्या है सांता क्लॉज का इससे कनेक्शन? यहां जानिए

क्रिसमस 2025 की धूम दुनिया भर में देखने को मिल रही है। प्रभु यीशु के जन्मदिन पर गिरजाघरों को सजाया गया है। बाजारों से लेकर घरों तक क्रिसमस की रौनक दिखाई दे रही है। हर साल 25 दिसंबर को धूमधाम से क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है। यह ईसाइयों का प्रमुख पर्व है। क्रिसमस के अवसर पर लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं और प्रभु यीशु के जन्मदिन की बधाइयां देते हैं। इस दिन सांता क्लॉज भी लोगों के बीच खुशियां बांटते हैं।

बच्चे क्रिसमस का बेसब्री से इंतजार करते हैं और सांता क्लॉज से गिफ्ट्स की उम्मीद लगाए रहते हैं। लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर सांता क्लॉज कौन हैं और क्रिसमस मनाने की शुरुआत कब हुई। आइए जानते हैं।

कब हुई क्रिसमस मनाने की शुरुआत?

क्रिसमस के इतिहास पर नजर डालें तो बताया जाता है कि 336 ईसा पूर्व में क्रिसमस मनाने की शुरुआत हुई थी। रोम के पहले ईसाई सम्राट के शासनकाल में 25 दिसंबर को सबसे पहले क्रिसमस मनाया गया था। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा कुछ साल बाद की गई। इसकी शुरुआत पोप जूलियस ने की थी, जिन्होंने 25 दिसंबर को प्रभु यीशु के जन्मदिन के रूप में मनाने की घोषणा की थी। उस समय क्रिसमस ट्री की परंपरा शुरू नहीं हुई थी। यह चलन बाद में उत्तरी यूरोप में शुरू हुआ। वहां लोग फर नाम के पौधे को सजाते थे और चेरी के पेड़ की टहनियां भी क्रिसमस पर सजाई जाती थीं। जो लोग क्रिसमस ट्री नहीं खरीद पाते थे, वे लकड़ी को पिरामिड का आकार देकर क्रिसमस मनाते थे। इसी के बाद से क्रिसमस ट्री की परंपरा शुरू हुई।

कौन है सांता क्लॉज?

लोगों के मन में यह सवाल भी उठता है कि सांता क्लॉज की शुरुआत कब हुई और वे कौन थे। बता दें कि सांता क्लॉज का असली नाम संत निकोलस था, जिनका जन्म तुर्किस्तान के मायरा के रोवानिएमी गांव में हुआ था। उनका जन्म प्रभु यीशु की मृत्यु के 280 साल बाद हुआ था। वे हमेशा गरीबों की सहायता किया करते थे। संत निकोलस की प्रभु यीशु में गहरी आस्था थी और बाद में वे पादरी बन गए। इसके बाद उन्हें संत की उपाधि दी गई।

बताया जाता है कि संत निकोलस को बच्चों से बेहद प्यार था। वे अक्सर बच्चों को रात के अंधेरे में तोहफे दिया करते थे, ताकि कोई उन्हें पहचान न सके। यही वजह है कि आज भी लोग सांता क्लॉज का इंतजार करते हैं और उनसे गिफ्ट पाने की उम्मीद रखते हैं।

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. एमपी ब्रेकिंग न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता है।