Wed, Dec 31, 2025

धान खरीदी केंद्र में बड़ा घोटाला, ज्यादा तौल और अवैध वसूली से किसान परेशान

Reported by:Raghvendra Singh Gaharwar|Edited by:Atul Saxena
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किसानों ने कहा कि 40.600 की जगह 41.200 किलो धान की जबरन तौल किया जा रहा है किसानों ने तौल प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ी का आरोप लगाया है।
धान खरीदी केंद्र में बड़ा घोटाला, ज्यादा तौल और अवैध वसूली से किसान परेशान

Scam at Singrauli paddy procurement center

सिंगरौली जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का कार्य जोर-शोर से चल रहा है, लेकिन जरहा स्थित खुटार क्र. 1 धान खरीदी केंद्र पर किसानों के साथ खुलेआम नियमों की अनदेखी और आर्थिक शोषण के गंभीर आरोप सामने आए हैं। यह पूरा मामला बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि शाख सहकारी समिति (बी-पैक्स) मर्या. खुटार, जिला सिंगरौली से जुड़ा हुआ है। किसानों का आरोप है कि समिति प्रबंधन की मनमानी और लापरवाही के चलते न केवल शासन के निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, बल्कि अन्नदाताओं की मेहनत की कमाई पर भी सीधा डाका डाला जा रहा है।

जिला मुख्यालय से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित जरहा के खुटार क्र. 1 धान खरीदी केंद्र में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं, जिससे किसानों में भारी आक्रोश है, खरीदी किए गए धान को सुरक्षित गोदामों में रखने के बजाय खुले में ढेर लगाकर रखा गया है ।किसानों का कहना है कि न तो तिरपाल की व्यवस्था की गई और न ही समुचित भंडारण स्थल उपलब्ध कराया गया, जिससे महीनों की मेहनत बर्बाद होने का खतरा बना हुआ है।

हर बोरी में 1 से 1.5 किलो अतिरिक्त धान तौलने का आरोप 

सरकारी नियमों के अनुसार प्रति बोरा 40 किलो 600 ग्राम धान तौला जाना चाहिए, लेकिन खुटार क्र. 1 समिति में 41 किलो 200 ग्राम तक धान भरवाया जा रहा है। जबकि बोरी के टैग पर मात्र 40.500 किलो दर्शाया जा रहा है। हर बोरी में 1 से 1.5 किलो अतिरिक्त धान लिया जा रहा है, जिससे किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। जब की विरोध करने पर तौल बंद करने की धमकी देकर किसानों से अभद्रता करते हैं।

विरोध करने पर तौल बंद करने की धमकी 

किसानों का आरोप है कि जब उन्होंने अतिरिक्त तौल का विरोध किया तो समिति कर्मियों ने तौल बंद कर दी और अभद्र व्यवहार किया। साफ शब्दों में कहा गया कि या तो इसी तरह तौल होगी या फिर धान वापस ले जाएं। आसपास कोई अन्य खरीदी केंद्र न होने के कारण किसान मजबूरी में यह अन्याय सहने को विवश हैं।

राघवेन्द्र सिंह गहरवार की रिपोर्ट