उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्राइमरी और जूनियर स्कूलों के मर्जर को लेकर बड़ा फैसला लिया है। पहले जो स्कूल मर्ज किए जा रहे थे, अब उनमें बदलाव किया गया है। सरकार ने साफ किया है कि अब एक किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर स्थित प्राइमरी स्कूलों का आपस में विलय नहीं होगा। इसी तरह, उच्च प्राथमिक यानी जूनियर स्कूलों का मर्जर तीन किलोमीटर से अधिक दूरी पर नहीं किया जाएगा।
बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या 50 या उससे अधिक है, उनका विलय नहीं किया जाएगा। साथ ही ऐसे स्कूल जो हाईवे, नदी या रेलवे लाइन के पार हैं, उन्हें भी मर्ज नहीं किया जाएगा। यानी अब छोटे बच्चों को खतरनाक रास्तों से होकर दूसरे स्कूल नहीं जाना पड़ेगा।
अफवाहों पर सरकार का जवाब
मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं कि सरकार स्कूल बंद कर रही है। लेकिन ऐसा नहीं है। कोई भी स्कूल बंद नहीं किया जा रहा है। सभी स्कूलों का यू-डायस कोड जस का तस रहेगा। अगर किसी जिले में मर्जर को लेकर गड़बड़ी या भ्रम की स्थिति है, तो उसे भी तुरंत दूर किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा न आए, इसके लिए मर्जर की प्रक्रिया में बेहद सावधानी बरती जा रही है। स्कूलों की पेयरिंग करते समय यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि छात्र-छात्राओं को स्कूल जाने में किसी तरह की रुकावट—जैसे नदी, रेलवे क्रॉसिंग या हाईवे—का सामना न करना पड़े।
नौकरी पर खतरा नहीं
मंत्री ने साफ किया कि मर्जर के बाद न तो शिक्षकों की नौकरी जाएगी और न ही रसोइयों की। इसका मकसद सिर्फ संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करना है। जहां छात्रों की संख्या 50 तक है, वहां तीन शिक्षक (शिक्षामित्र सहित) अनिवार्य रूप से तैनात किए जाएंगे। इससे अधिक संख्या वाले स्कूलों में पीटीआर (प्यूपिल टीचर रेशियो) के मानकों के अनुसार शिक्षकों की तैनाती की जाएगी।
अन्य राज्यों में भी अपनाई गई है प्रक्रिया
राज्यमंत्री ने कहा कि स्कूल मर्जर की यह प्रक्रिया उत्तर प्रदेश में पहली बार नहीं हो रही है। इससे पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान और ओडिशा जैसे राज्यों में भी यही मॉडल अपनाया गया है। यूपी सरकार का मकसद बच्चों को बेहतर और सुलभ शिक्षा देना है।





