उत्तराखंड के लंबी बारिश और तेजी से बढ़ते नदियों के स्तर के बीच मुख्यमंत्री धामी ने लक्सर के प्रभावित इलाकों का फ़ील्ड में जाकर जायजा लिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर तरीके से आपदा से निपटने हेतु जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। घायलों, विस्थापितों और प्रभावित परिवारों के लिए मुख्यमंत्री ने यह सुनिश्चित किया कि राहत कैंपों में खाद्य सामग्री, पेयजल, प्राथमिक चिकित्सा और साफ़ सफ़ाई की पर्याप्त व्यवस्था हो।
लक्सर में ज़मीन का क्षरण और पानी के तेज बहाव से सड़कें, पुल और घर प्रभावित हो रहे थे। मुख्यमंत्री ने मदानुसार अधिकारियों को निर्देश दिए कि क्षतिग्रस्त मार्गों और संरचनाओं की मरम्मत प्राथमिकता से की जाए। धामी ने प्रभावित किसानों से मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि फसल क्षति का आकलन जल्द से जल्द किया जाएगा, ताकि समय पर मुआवजा मिल सके। उन्होंने कृषि विभाग को इस दिशा में तेजी से कार्रवाई करने का आदेश दिया।
अगली चुनौतियों से निपटने का रोडमैप
मुख्यमंत्री ने लंबी अवधि में राहत और पुनर्वास का फ़्रेमवर्क तैयार किया—वहीं प्रशासन को निर्देश दिए गए कि ग्रामीण संपर्क मार्गों को जल्द बहाल किया जाए, जिससे राहत कार्य में कोई रुकावट न आए। लक्सर के पास मुख्य सड़क प्रभावित हुई थी, जिससे डिफ़ॉल्ट यातायात बाधित था। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से किनारे से हटाकर वैकल्पिक मार्ग खोलने की मांग की, और चारधाम यात्रा को सुचारु रूप से चलाने के निर्देश दिए।
यात्री मार्ग और तीर्थयात्रा का भी ध्यान
Laksar के पास मुख्य सड़क प्रभावित हुई थी, जिससे डिफ़ॉल्ट यातायात बाधित था। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से, किनारे से हटाकर वैकल्पिक मार्ग खोलने की मांग की, और चारधाम यात्रा को सुचारु रूप से चलाने के निर्देश दिए। राज्य आपदा प्रबंधन टीम ने इस आपदा से निपटने हेतु सैटलाइट इमेजिंग और वैज्ञानिक सहायता समूह को तैनात किया है, जिससे ऐसी घटनाओं में क्षति का त्वरित आकलन हो सके और बचाव के कदम तेज़ हों। हरिद्वार ही नहीं, बल्कि समूचे उत्तराखंड में बारिश ने कई इलाकों को प्रभावित किया है—जहाँ मार्ग अवरुद्ध हैं और बाढ़ का खतरा बना हुआ है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने राहत और बचाव कार्यों को युद्धस्तर पर तेज़ कर दिया है।





