बाल सिर्फ सुंदरता का हिस्सा नहीं होते, बल्कि आत्मविश्वास से भी जुड़े होते हैं। जैसे ही सिर से बाल कम होने लगते हैं, वैसे ही इंसान के भीतर एक अनकही बेचैनी जन्म लेने लगती है। यही वजह है कि गंजापन या बाल झड़ने की समस्या आज दुनिया की सबसे आम परेशानियों में गिनी जाती है। लोग इससे निजात पाने के लिए मेडिकल साइंस से लेकर घरेलू नुस्खों तक हर रास्ता आजमाते हैं।
लेकिन जब सारे उपाय थक जाते हैं, तब इंसान आस्था की ओर देखता है। जापान के क्योटो शहर में स्थित एक ऐसा ही अनोखा मंदिर है, जहां गंजे लोग बाल उगने की अर्जी लेकर पहुंचते हैं। यहां मनोकामना की चिट्ठी के साथ बालों की लट चढ़ाई जाती है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से प्रार्थना करने पर व्यक्ति को घने और लंबे बाल मिलते हैं।
जापान का अनोखा मंदिर
क्योटो में स्थित यह मंदिर दुनिया भर में हेयर ग्रोथ टेंपल के नाम से पहचाना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालु सिर्फ जापान से नहीं, बल्कि दुनिया के अलग-अलग देशों से होते हैं। गंजापन, बाल झड़ना, समय से पहले सफेद बाल हर समस्या के लिए लोग यहां प्रार्थना करते हैं। इस मंदिर की सबसे अनोखी परंपरा है मनोकामना पत्र। श्रद्धालु अपनी समस्या लिखते हैं, किस उम्र में बाल झड़ने शुरू हुए, कितनी कोशिशें कीं, और अब क्या उम्मीद है। इसके साथ वे बालों की एक लट चढ़ाते हैं। यह लट प्रतीक मानी जाती है उस विश्वास की, कि पुराने बालों की जगह नए और मजबूत बाल आएंगे।
जापान के पहले हेयर ड्रेसर को समर्पित है यह मंदिर
यह मंदिर जापान के पहले हेयर ड्रेसर माने जाने वाले फुजिवारा उनेमेनोसुके मसायुकी को समर्पित है। उन्हें जापानी संस्कृति में कामी यानी देवता के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि मसायुकी अपने समय में बालों की देखभाल और हेयर स्टाइल के इतने बड़े विशेषज्ञ थे कि लोग उन्हें साधारण इंसान नहीं, बल्कि दैवीय शक्ति मानने लगे थे। कहा जाता है कि उन्होंने न सिर्फ हेयर स्टाइल को कला का रूप दिया, बल्कि बालों की सेहत और स्वच्छता को भी सामाजिक पहचान से जोड़ा। धीरे-धीरे उनके प्रति श्रद्धा इतनी बढ़ी कि उनके नाम पर मंदिर की स्थापना की गई। आज वही मंदिर गंजे लोगों के लिए उम्मीद का केंद्र बन चुका है।
क्यों देवता माने गए फुजिवारा मसायुकी?
इतिहासकारों और लोक कथाओं के अनुसार, फुजिवारा मसायुकी ने उस दौर में बालों की देखभाल से जुड़े ऐसे तरीके अपनाए, जो आम लोगों के लिए चमत्कार से कम नहीं थे। कहा जाता है कि जिन लोगों के बाल झड़ चुके थे, उनके सिर पर फिर से बाल उग आए। हालांकि, इसके पीछे वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिलते, लेकिन लोक विश्वास ने उन्हें देवता का दर्जा दे दिया। जापानी समाज में बालों को सम्मान, उम्र और सामाजिक स्थिति से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में एक ऐसा व्यक्ति, जो बालों को संवारने और बचाने का काम करे, उसका पूजनीय बन जाना स्वाभाविक माना गया।
पुण्यतिथि पर बंद रहते हैं सैलून
इस मंदिर से जुड़ी एक बेहद दिलचस्प परंपरा आज भी निभाई जाती है। फुजिवारा मसायुकी की पुण्यतिथि के दिन जापान के कई हिस्सों में सैलून और बार्बर शॉप बंद रखी जाती हैं। यह परंपरा उनके प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का तरीका मानी जाती है। यह सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि पेशेवर सम्मान का प्रतीक भी है। जापान में हेयर इंडस्ट्री से जुड़े लोग इस दिन मंदिर में दर्शन करने आते हैं और अपने पेशे में सफलता की कामना करते हैं।
बड़े हेयर स्टाइलिस्ट और ब्यूटी एक्सपर्ट भी टेकते हैं माथा
आज के आधुनिक जापान में, जहां टेक्नोलॉजी हर क्षेत्र में हावी है, वहां भी इस मंदिर की मान्यता कम नहीं हुई है। देश के नामी हेयर स्टाइलिस्ट, ब्यूटी एक्सपर्ट और बार्बर यहां आकर आशीर्वाद लेते हैं। खास बात यह है कि जो लोग नेशनल बार्बर या ब्यूटीशियन की परीक्षा देने वाले होते हैं, वे परीक्षा या इंटरव्यू से पहले इस मंदिर में जरूर आते हैं। उनका मानना है कि यहां की प्रार्थना से हाथों में कला आती है और करियर में स्थिरता मिलती है।





