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Sat, Dec 20, 2025

इन 5 राशियों का गोल्डन टाइन शुरू, होगा भाग्योदय, शनि के चाल बदलते ही बने 2 बड़े राजयोग

Written by:Pooja Khodani
Published:
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13 जुलाई को शनि मीन राशि में ही वक्री हुए है, जिसे महा विपरीत राजयोग और केन्द्र त्रिकोण राजयोग का निर्माण हुआ है जो 5 राशियों के लिए शुभ साबित हो सकता है। आईए जानते है कौन सी है वो राशियां...
इन 5 राशियों का गोल्डन टाइन शुरू, होगा भाग्योदय, शनि के चाल बदलते ही बने 2 बड़े राजयोग

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों, राशियों और कुंडली नक्षत्र और ग्रहण का बड़ा महत्व माना जाता है। खास करके न्याय व दंड के देवता शनि की भूमिका ज्योतिष में बेहद अहम मानी जाती है। शनि एक से दूसरी राशि में जाने के लिए करीब ढाई वर्ष का समय लेते है, , ऐसे में एक ही राशि में दोबारा आने में शनि को करीब 30 साल लगते है।इस दौरान शुभ योग राजयोग का भी निर्माण होता है। इसी क्रम में सावन में शनि ने वक्री होकर केन्द्र त्रिकोण व विपरित राजयोग बनाया है, जो 5 राशियों के लिए शुभ साबित हो सकता है।

13 जुलाई को शनि मीन राशि में ही वक्री हुए है, जिसे महा विपरीत राजयोग और केन्द्र त्रिकोण राजयोग का निर्माण हुआ है। ज्योतिष में यह राजयोग अत्यंत प्रभावशाली और दुर्लभ माना गया है। इस योग के बनने से जातकों को धन, समृद्धि, यश और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।विशेष रूप से जिनकी कुंडली में शनि शुभ भाव में स्थित है, उन्हें इसका सबसे अधिक लाभ मिलता है।शनि 138 दिनों तक वक्री रहेंगे।

विपरित-केन्द्र त्रिकोण राजयोग से चमकेगी 3 राशियों की किस्मत

मिथुन राशि: विपरीत राजयोग जातकों के लिए फलदायी साबित हो सकता है। काम कारोबार में तरक्की और धनलाभ के प्रबल योग है। व्यापार में पार्टनरशिप से लाभ होगा। व्यापारी वर्ग को नई डील या साझेदारी से लाभ हो सकता है। नौकरीपेशा को वेतन वृद्धि और प्रमोशन का तोहफा मिल सकता है। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। मनचाही इच्छाएं पूरी हो सकती है। आत्मविश्वास में वृद्धि हो सकती है।

कर्क राशि : यह विपरीत राजयोग जातकों के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आ सकता है। अचानक धन लाभ की प्राप्ति हो सकती है। आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है। रिश्तों में सुधार आएगा। पार्टनरशिप में किए गए बिजनेस से लाभ होगा। नौकरीपेशा को प्रमोशन या नई जिम्मेदारियाँ मिल सकती है। समय- समय पर आकस्मिक धनलाभ हो सकता है।कार्यस्थल पर नई जिम्मेदारी मिल सकती है।

मकर राशि: विपरित राजयोग जातकों के लिए अनुकूल सिद्ध हो सकता है। बेरोजगार को नौकरी के प्रस्ताव मिल सकते है। व्यक्तित्व में निखार आएगा । सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। करियर में नई उपलब्धियां प्राप्त करेंगे। व्यापारियों के लिए यह समय मुनाफा कमाने और नई योजनाएं लागू करने के अनुकूल है। समाज में मान- सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ेगी।विद्यार्थियों को पढ़ाई में सफलता मिल सकती है।

वृश्चिक राशि: शनि का केन्द्र त्रिकोण राजयोग जातकों के लिए बेहद शुभ साबित हो सकता है। प्रतियोगी परीक्षा देने वाले छात्रों को विशेष लाभ की प्राप्ति हो सकती है। भाग्य का साथ मिलेगा। अविवाहितों के लिए विवाह के प्रस्ताव आ सकते है। भवन निर्माण, वाहन खरीदने या किसी बड़े निवेश का योग बन सकता है। व्यापार के लिए नए अवसर मिल सकते है। आपके द्वारा किए गए प्रयासों का लाभ मिलेगा और रुके हुए कार्यों में गति आएगी।

धनु राशि : शनि का केन्द्र त्रिकोण राजयोग जातकों के लिए फलदायी साबित हो सकता है।प्रॉपर्टी, वाहन, मकान खरीद सकते है। जीवन में शांति बनी रहेगी और शनि ढैय्या के नकारात्मक प्रभावों में कमी आएगी।विवाह के अच्छे प्रस्ताव आ सकते हैं। साझेदारी के व्यवसाय में लाभ मिल सकता है। करियर, धन और अन्य क्षेत्रों में उन्नति मिलेगी। आर्थिक रूप मजबूत होंगे। पुराने किसी ऋण से भी छुटकारा मिलने की पूरी संभावना है।

कुंडली में कब बनता है केन्द्र त्रिकोण और विपरित राजयोग

  • ज्योतिष के मुताबिक, कुंडली में जब 3 केंद्र भाव जैसे 4, 7, 10 और 3 त्रिकोण भाव जैसे 1, 5, 9 जब आपस में युति, दृष्टि संबंध अथवा राशि परिवर्तन करते हैं, तब केंद्र त्रिकोण राजयोग बनता है। केंद्र त्रिकोण राजयोग जातक के लिए भाग्यशाली माना जाता है।केंद्र त्रिकोण राजयोग जातक के लिए भाग्यशाली माना जाता है।इस योग से धन, समृद्धि, यश, और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। यह राजयोग उन राशियों के लिए बहुत शुभ रहेगा, जिनकी कुंडली में शुक्र ग्रह केंद्र और त्रिकोण भाव में युति करता है।
  • वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विपरीत राजयोग ज्योतिष में एक विशेष प्रकार का योग है जो कुंडली के छठे, आठवें और बारहवें भाव के स्वामियों के बीच बनता है। यह योग आमतौर पर अशुभ माने जाने वाले भावों (6वें, 8वें और 12वें) के स्वामियों के एक साथ आने से बनता है। विपरीत राजयोग का निर्माण होने से व्यक्ति को धन लाभ के साथ वाहन, संपत्ति का सुख प्राप्त होता है।इस योग में त्रिक भावों और उनके स्वामियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। वैसे त्रिक भावों को ज्योतिष शास्त्र में शुभ नहीं माना जाता लेकिन कुछ विशेष परिस्थियों के कारण यह शुभ फल देने लगते हैं, वहीं मुख्यत: त्रिक भावों में से किसी भाव का स्वामी किसी अन्य त्रिक भाव में विराजमान हो तो इस योग का निर्माण होता है।

(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, MP BREAKING NEWS किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है।इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)