कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य और पूर्व सांसद बीके हरिप्रसाद ने केंद्र सरकार पर मनरेगा को कमजोर करने और नेशनल हेराल्ड मामले में राजनीतिक प्रतिशोध की राजनीति करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने घोषणा की है कि नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेताओं पर झूठे आरोप लगाने और मनरेगा का नाम बदलने के खिलाफ कांग्रेस हर राज्य और हर जिले में आंदोलन करेगी। उन्होंने कहा कि मनरेगा को बचाने के लिए कांग्रेस हर स्तर पर लड़ाई लड़ेगी।
भोपाल में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि बारह साल बाद कांग्रेस को बदनाम करने के लिए गढ़ा गया नेशनल हेराल्ड केस बुरी तरह ढह गया है। उन्होंने कोर्ट द्वारा ईडी का मामला खारिज किया जाना बीजेपी की बदले की राजनीति पर करारा तमाचा है। इसी के साथ उन्होंने सरकार पर मनरेगा को समाप्त करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसे बचाने के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद अशोक सिंह, मीडिया विभाग अध्यक्ष मुकेश नायक, प्रदेश प्रवक्ता विक्रम चौधरी, अभिनव बरोलिया, प्रवीण धौलपूरे, राहुल राज और फिरोज सिद्दीकी उपस्थित रहे।
कांग्रेस ने किया आंदोलन का ऐलान
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद ने केंद्र सरकार पर मनरेगा को कमजोर करने और नेशनल हेराल्ड मामले में राजनीतिक प्रतिशोध की राजनीति करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने घोषणा की कि मनरेगा का नाम बदलने, इसके स्वरूप में बदलाव करने और कांग्रेस नेताओं पर झूठे आरोप लगाने के खिलाफ पार्टी हर राज्य में, हर जिले में और हर गाँव बड़े स्तर पर आंदोलन करेगी।
बीके हरिप्रसाद ने मनरेगा का नाम बदलने पर बीजेपी को घेरा
कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने कहा कि मोदी सरकार ने “सुधार” के नाम पर संसद में नया कानून पारित कर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) की मूल आत्मा को समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि मनरेगा सिर्फ एक योजना नहीं बल्कि ग्रामीण गरीबों के लिए काम का कानूनी अधिकार था जिसने ग्राम स्वराज, विकेंद्रीकरण और काम की गरिमा के गांधीवादी सिद्धांतों को व्यवहार में उतारा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने गांधीजी का नाम हटाकर और योजना के ढांचे में बदलाव कर 12 करोड़ से अधिक ग्रामीण मजदूरों के अधिकारों पर प्रहार किया है।
हरिप्रसाद ने कहा कि बीजेपी सरकार बनने के बाद से मनरेगा में बजट कटौती, राज्यों के भुगतान रोकने, जॉब कार्ड निरस्त करने और आधार-आधारित भुगतान को अनिवार्य करने जैसे कदमों से मनरेगा को कमजोर किया। इसके कारण पिछले कुछ सालों में ग्रामीण मजदूरों को औसतन 50–55 दिन का ही रोजगार मिल पाया। उन्होंने यह भी कहा कि नई व्यवस्था के तहत राज्यों पर हजारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाला जा रहा है, जबकि नियंत्रण और श्रेय केंद्र सरकार अपने पास रखना चाहती है, जो मनरेगा की मूल भावना के विपरीत है।
नेशनल हेराल्ड केस में बीजेपी पर ‘बदले की भावना’ से काम करने का आरोप
पत्रकार वार्ता में बीके हरिप्रसाद ने नेशनल हेराल्ड केस में दिल्ली कोर्ट द्वारा ED की शिकायत खारिज करने को “सच की जीत” बताया है। उन्होंने कहा कि “बाहर वर्ष पुराना यह गढ़ा हुआ केस मोदी-शाह की बदले की राजनीति पर करारा तमाचा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई मूल अपराध नहीं था, फिर भी एजेंसियों का दुरुपयोग हुआ। सीबीआई ने 2014-15 में एफआईआर दर्ज करने से इनकार किया।” उन्होंने कहा कि कई सालों तक कांग्रेस नेतृत्व को बदनाम करने के उद्देश्य से चलाया गया यह मामला अदालत में टिक नहीं पाया है। अदालत द्वारा ईडी के मामले को खारिज किया जाना यह साबित करता है कि यह पूरा केस राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित था। उन्होंने कहा राहुल गांधी से की गई लंबी पूछताछ सिर्फ मीडिया ट्रायल और दबाव बनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन कांग्रेस पार्टी न तो झुकी है और न झुकेगी। उन्होंने दोहराया कि कांग्रेस लोकतंत्र, संविधान और संस्थाओं की रक्षा के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेगी।





