Mon, Dec 29, 2025

MP: लोकसभा चुनाव में इस फॉर्मूले के आधार पर टिकट बांटने की तैयारी में कांग्रेस

Written by:Mp Breaking News
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MP: लोकसभा चुनाव में इस फॉर्मूले के आधार पर टिकट बांटने की तैयारी में कांग्रेस

भोपाल।

सूबे में 15 साल बाद सत्ता में वापस आई कांग्रेस अब फूंक फूंक कर कदम रख रही है। विधानसभा चुनाव के दौरान टिकटों, अतंरकलह और गुटबाजी को लेकर जो घमासान मचा था, अब पार्टी उससे परहेज करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए पार्टी ने नई रणनीति बनाई है। खबर है कि लोकसभा चुनाव के लिए सभी संसदीय क्षेत्रों के लिए प्रभारी नियुक्त करने के बाद पार्टी द्वारा उनसे एक संसदीय क्षेत्र से तीन-तीन उमीदवारों के नाम मांगे गए हैं। माना जा रहा कि लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों का फैसला उसी आधार पर किया जाएगा।

खास बात ये है कि यह टास्क अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव व पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने दिए हैं। बाबरिया ने सभी 29 प्रभारियों को 23 जनवरी तक हर-हाल में क्षेत्र में पहुंचने के निर्देश दिए हैं।  प्रभारियों को जो टास्क दिए गए हैं, उनमें सबसे महत्वपूर्ण मतदाता सूची के पुनरीक्षण का है। वही उन्होंने सभी को चुनाव होने तक सभी को क्षेत्र में रहने की हिदायद दी है। सुत्रों की माने तो सीएम कमलनाथ के विदेश दौरे से लौटने के बाद कांग्रेस में बैठकों का दौर शुरु हो सकता है।टिकटों को लेकर मंथन और गठबंधन को लेकर चर्चा की जा सकती है। पार्टी का फोकस उन क्षेत्रों पर होने वाला है, जहां विस चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था और जीत का अंतर कम रहा था। 

27  जनवरी से शुरु हो सकता है बैठकों का सिलसिला

खबर है कि 26 जनवरी के बाद कांग्रेस में तबाड़तोड़ बैठकों का सिलसिला शुरु हो सकता है। पहली बैठक 27 जनवरी को भोपाल में हो सकती है। इस बैठक में बाबरिया के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी रहेंगे। दूसरी बैठक फरवरी को आयोजित किए जाने की सभांंवना है । तब तक क्षेत्र की सभी समस्याओं की जानकारी रखने के साथ चुनावी मुद्दों, मतदाता सूची से लेकर तमाम जानकारी जुटाने को कहा गया है।एक जनवरी 2019 की स्थिति में नए उमीदवारों के नाम जुड़वाने और पुराने गलत नाम हटवाने को कहा गया है। संगठन में जिला, लाक, मंडलम, सेटर की स्थिति की पूरी जानकारी और सभी को सक्रिय करने को कहा गया है। पदाधिकारियों के बीच कार्य विभाजन और विधानसभा वार प्रभारियों की नियुति का अधिकार भी संसदीय प्रभारियों को दिया गया है। अन्य मोर्चा वे संगठनों की जिला बार स्थिति की जानकारी रखने के निर्देश हैं।