बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सियासी सरगर्मी बढ़ने लगी है। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को लेकर लगाए गए एक पोस्टर ने राजनीति के गलियारों में हलचल मचा दी है। रविवार को उनके 44वें जन्मदिन के मौके पर पटना स्थित जेडीयू दफ्तर के बाहर एक बड़ा पोस्टर लगाया गया, जिसमें लिखा, “बिहार की मांग, सुन लिए निशांत कुमार, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद”। पोस्टर में निशांत की तस्वीर को प्रमुखता दी गई और उन्हें बिहार का भावी नेता बताया गया।
क्या निशांत राजनीति में होंगे सक्रिय?
अब तक निशांत कुमार ने खुद कभी राजनीति में सक्रिय होने की बात नहीं कही है। उन्होंने हमेशा लो-प्रोफाइल रहते हुए अपने पिता के कामों की सराहना की है। हालांकि, इस बार उनके जन्मदिन पर लगाए गए पोस्टरों ने साफ कर दिया है कि पार्टी के कई कार्यकर्ता उन्हें नीतीश कुमार का राजनीतिक उत्तराधिकारी मान रहे हैं। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वह नालंदा से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं।
भावनात्मक अपील और पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्थन
अपने जन्मदिन पर निशांत ने पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर पहुंचकर रुद्राभिषेक किया और पिता नीतीश कुमार के लिए प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि बिहार की तरक्की के लिए नीतीश कुमार जैसे नेता की जरूरत है और जनता को एक बार फिर उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। वहीं, जेडीयू कार्यकर्ताओं ने भी केक काटकर उनका जन्मदिन मनाया और पोस्टरों के साथ चुनाव लड़ने की मांग रखी।
इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं निशांत, रखते हैं लो-प्रोफाइल
निशांत कुमार पेशे से इंजीनियर हैं और सार्वजनिक जीवन से अब तक दूरी बनाए रखी है। उन्होंने न तो कभी किसी राजनीतिक पद की इच्छा जताई और न ही मंचों पर दिखे हैं। लेकिन जेडीयू के पोस्टर अभियान से यह संकेत मिलने लगे हैं कि वह जल्द ही सक्रिय राजनीति में कदम रख सकते हैं, खासकर ऐसे समय में जब नीतीश कुमार की राजनीतिक विरासत को लेकर अटकलें तेज हैं।
नालंदा सीट पर हो सकती है दावेदारी
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो निशांत कुमार की सियासत में एंट्री अब बस औपचारिकता भर है। नालंदा नीतीश कुमार का गृह जिला रहा है और वहां से निशांत की दावेदारी को लेकर पार्टी के भीतर समर्थन भी दिखने लगा है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या खुद नीतीश कुमार अपने बेटे को राजनीति में उतारने का ऐलान करते हैं या नहीं। फिलहाल पोस्टर और कार्यकर्ताओं के सुर से इतना साफ है कि जेडीयू में सत्ता हस्तांतरण की चर्चा शुरू हो चुकी है।





