रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) मृत ग्राहकों के क्लेम सेटेलमेंट को लेकर नियमों में बदलाव करने जा रहा है। अब बैंको को जल्द से जल्द मृत ग्राहकों के दावों का निपटान करेंगे। इससे संबंधित ड्राफ्ट सर्कुलर भी आरबीआई ने जारी किया है। इसका उद्देश्य नॉमिनेशन सुविधा और ग्राहक की मृत्यु पर बैंकों द्वारा क्लेम का जल्द से जल्द निपटा करना है। साथ ही परिवार के सदस्यों को होने वाली परेशानियों को कम करना है। इसके अलावा जिन मामलों में नॉमिनी पंजीकृत नहीं है, ऐसे क्लेम के निपटान की प्रक्रिया भी आसान होगी। ग्राहक सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा।
नए नियमों के तहत खाताधारकों की मौत के बाद 15 दिनों के भीतर दावों का निपटान किया जायेगा। यदि किसी डिपॉजिट के लिए नॉमिनी को पंजीकृत नहीं किया गया है, तो ऐसे मामलों में बैंक निपटान के लिए एक आसान प्रक्रिया अपनाएंगे। जोखिम प्रबंधन परिणाम के आधार पर न्यूनतम 15 लाख रूपये तक की सीमा निर्धारित करेंगे। इसके लिए जरूरी दस्तावेजों की मांग भी की जाएगी।
बैंको को रखना होगा इन बातों का ख्याल (RBI New Rules)
बैंक दावों के निपटान के लिए मानकीकरण फॉर्म का इस्तेमाल करेगा। जो दावेदारों की सुविधा के लिए सभी शाखों के साथ-साथ बैंक की वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके अलावा बैंक अपनी वेबसाइट पर दावेदार द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेजों की सूची और विभिन्न उपस्थितियों में दावों के निपटान के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं को भी प्रदर्शित करेगा। दस्तावेज जमा होने या किसी गलती को लेकर पुष्टिकरण भी जारी करेगा। पेंडिंग या गलत दस्तावेजों के मामले में बैंक दावेदारों को पावती के साथ ऐसे दस्तावेजों की सूची के बारे में नोटिफिकेशन भेजेगा। ऐसे क्लेम को ऑनलाइन दर्ज करने की सुविधा भी प्रदान कर सकता है। दावे की स्थिति चेक करने के लिए ऑनलाइन ट्रैकिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराएगा।
देरी होने अब बैंक देंगे मुआवजा
यदि क्लेम का निपटान समय के भीतर नहीं किया जाता है, तो बैंक देरी का कारण दावेदारों को बताएगा। परिवार के सदस्यों को मुआवजा देना पड़ सकता है। 15 दिन अवधि खत्म होने के बाद प्रत्येक दिन के लिए 5,000 रूपये तक मुआवजा भरना पड़ सकता है।
कब लागू होंगे नियम?
आरबीआई ने फ़िलहाल यह प्रस्ताव रखा है। हितधारकों और आम नागरिकों का कमेंट और फीडबैक भी मांगा है। कोई भी नागरिक ईमेल के जरिए 27 अगस्त तक इस सर्कुलर पर अपनी प्रतिक्रिया भेज सकते हैं। यह बदलाव सभी कमर्शियल और को-ऑपरेटिव बैंको पर लागू किया जाएगा। 1 जनवरी 2026 के बाद लागू हो सकते हैं।





