Sun, Dec 28, 2025

Success Story: भारत के पेंसिल मार्केट पर रहा नटराज का दबदबा, 3 दोस्तों ने किया था शुरू

Written by:Sanjucta Pandit
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इस कंपनी की स्थापना 1958 में मुंबई में हुई थी और पिछले 65 सालों में इसने पेंसिल मार्केट पर अपना दबदबा बनाए रखा है। उस समय भारत में पेंसिल बनाने वाली कंपनियों की संख्या बहुत कम थी।
Success Story: भारत के पेंसिल मार्केट पर रहा नटराज का दबदबा, 3 दोस्तों ने किया था शुरू

Natraj Success Story : पेंसिलों की बात करते ही नटराज Nataraj का नाम सबसे पहले याद आते हैं। ये पेंसिलें हर भारतीय बच्चे के स्कूल बैग का हिस्सा रही हैं। नटराज की लाल और काले रंग की पेंसिलें लगभग हर क्लासरूम में देखने को मिलती हैं। हिंदुस्तान पेंसिल्स प्राइवेट लिमिटेड (Hindustan Pencils Pvt. Ltd.) द्वारा बनाई गई ये पेंसिलें न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में अपनी गुणवत्ता और टिकाऊपन के लिए मशहूर हैं। इस कंपनी की स्थापना 1958 में मुंबई में हुई थी और पिछले 65 सालों में इसने पेंसिल मार्केट पर अपना दबदबा बनाए रखा है।

3 दोस्तों ने किया था शुरू

1958 में बाबूभाई, रामनाथ मेहरा और सूकानी ने हिंदुस्तान पेंसिल्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की। इन तीनों दोस्तों ने पेंसिल निर्माण के गुर सीखने के लिए जर्मनी का दौरा किया। उस समय भारत में पेंसिल बनाने वाली कंपनियों की संख्या बहुत कम थी। कंपनी ने अपने पहले उत्पाद के रूप में “नटराज” ब्रांड की पेंसिलें लॉन्च कीं, जो जल्द ही बच्चों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गई। धीरे-धीरे कंपनी ने कई तरह के प्रॉडक्ट्स विकसित किए। इन प्रॉडक्ट्स में विभिन्न प्रकार की पेंसिलें, रबड़, शार्पनर, कलर्ड पेंसिल्स और अन्य स्टेशनरी शामिल हैं। उसकी पेंसिलें न केवल भारत में बल्कि दुनिया के 50 से अधिक देशों में एक्सपोर्ट होती है। भारत में सफलता के बाद, कंपनी ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी कदम रखा। आज हिंदुस्तान पेंसिल्स के प्रॉडक्ट्स एशिया, अफ्रीका, यूरोप, और अमेरिका सहित कई देशों में लोकप्रिय हैं।

समाज के प्रति भी जिम्मेदार

हिंदुस्तान पेंसिल्स पर्यावरण और समाज के प्रति भी जिम्मेदार रही है। कंपनी ने अपने उत्पादन प्रक्रियाओं में पर्यावरण अनुकूल मशीनों का उपयोग किया है। केवल इतना ही नहीं, उसने अपने कर्मचारियों के लिए विभिन्न योजनाएं भी चलाई हैं। आजादी के बाद भारत सरकार ने देश के घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए। इनमें पेंसिल मैन्युफैक्चरर्स की गुहार पर पेंसिल के आयात पर प्रतिबंध लगाना भी शामिल था। सरकार का मकसद था कि घरेलू पेंसिल निर्माता अपने उत्पादों को बेहतर बना सकें और विदेशी पेंसिलों पर निर्भरता कम हो। हालांकि, शुरूआत में ग्रेफाइट की गुणवत्ता और लकड़ी की मजबूती कम थी, जिससे कंज्यूमर संतुष्ट नहीं थे। इसके अलावा, उत्पादन लागत अधिक होने के कारण देसी पेंसिलें महंगी थीं लेकिन आज हिंदुस्तान पेंसिल्स जैसी कंपनियों ने भारतीय पेंसिल उद्योग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। उनकी पेंसिलें न केवल घरेलू बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी पहचान बना चुकी हैं।