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Thu, Dec 18, 2025

छत्तीसगढ़ में 14 मंत्रियों की नियुक्ति पर हाईकोर्ट में नई याचिका, कांग्रेस ने उठाए संवैधानिक सवाल

Written by:Saurabh Singh
Published:
याचिका में सामान्य प्रशासन विभाग, मुख्यमंत्री और सभी 14 मंत्रियों को पक्षकार बनाया गया है। पिछली सुनवाई में राज्य सरकार के अधिवक्ताओं ने बताया कि मंत्रिमंडल की सीमा से संबंधित एक मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।
छत्तीसगढ़ में 14 मंत्रियों की नियुक्ति पर हाईकोर्ट में नई याचिका, कांग्रेस ने उठाए संवैधानिक सवाल

छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल में 14 मंत्रियों की नियुक्ति की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने हाईकोर्ट में नई याचिका दायर की है। इससे पहले सामाजिक कार्यकर्ता बसदेव चक्रवर्ती ने भी एक जनहित याचिका दायर कर इसे असंवैधानिक ठहराया था। याचिका में कहा गया है कि 90 विधानसभा सीटों वाले राज्य में 14 मंत्रियों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 164(1ए) का उल्लंघन है, क्योंकि यह 15% की सीमा से अधिक है। इस मामले की सुनवाई सोमवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में होगी।

याचिका में सामान्य प्रशासन विभाग, मुख्यमंत्री और सभी 14 मंत्रियों को पक्षकार बनाया गया है। पिछली सुनवाई में राज्य सरकार के अधिवक्ताओं ने बताया कि मंत्रिमंडल की सीमा से संबंधित एक मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, जो मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार से जुड़ा है। इस मामले में अनुच्छेद 164(1ए) की व्याख्या होनी है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस केस की कॉपी हाईकोर्ट में पेश की, जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में है, तो वहीं से निर्णय करवाया जाए।

मंत्रिमंडल की सीमा को लेकर महत्वपूर्ण कानूनी बहस

पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट का मामला प्रभावहीन हो चुका है, लेकिन राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि 22 जुलाई 2020 को आखिरी सुनवाई हुई थी और मामला अभी लंबित है। चीफ जस्टिस ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट से दिशा-निर्देश लाने के लिए दो हफ्ते का समय दिया और अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद निर्धारित की। यह मामला मंत्रिमंडल की सीमा को लेकर महत्वपूर्ण कानूनी बहस का केंद्र बना हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामला विवाद को हल करने में निर्णायक

यह याचिका छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल के आकार को लेकर चल रही कानूनी और राजनीतिक चर्चा को और गर्म कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले का निर्णय इस विवाद को हल करने में निर्णायक हो सकता है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि संवैधानिक प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करना आवश्यक है, जबकि सरकार का तर्क है कि मामला पहले से ही उच्चतम न्यायालय के विचाराधीन है। इस मामले का नतीजा राज्य के प्रशासनिक ढांचे पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।